बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस पर बैंक कर्मियों की संकल्प सभा आयोजित

बैंक एसोसिएशन की मांग- आत्मनिर्भरता हासिल करने हेतु सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाओ

भोपाल। ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन के आह्वान पर बैंक राष्ट्रीयकरण की 55 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सुबह 9 बजे मालवीय नगर भोपाल स्थित मध्य प्रदेश बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के यूनियन ऑफिस के सामने बैंक कर्मियों की सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राजधानी की विभिन्न बैंकों के सेकडों बैंक कर्मचारी-अधिकारियों ने भाग लिया। सभा को मध्य प्रदेश बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन के अलावा विभिन्न बैंकों की ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों साथी वी के शर्मा, जेपी झंवर, अर्जुन काकोड़िया, गुणशेखरन, वी एस रावत, जेपी दुबे, देवेंद्र खरे, विशाल धमीजा, किशन खेराजानी, सत्येंद्र चौरसिया, राम चौरसिया, शिवानी शर्मा, अमित गुप्ता, अमोल अचवाल, वैभव गुप्ता, कैलाश माखीजानी, अनिल गढ़वाल, अमित प्रजापति, मनोज चतुर्वेदी, के वासुदेव सिंह, जीडी पाराशर, बीपी गौर, रमेश सिंह, रामकुमार साहू, अनुपम त्रिवेदी, वीके कोठारी आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि हम बैंकों के राष्ट्रीयकरण और इसकी 55वीं वर्षगांठ का अभिवादन करते हैं। हमारे देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आर्थिक विकास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और नेतृत्वकारी भूमिका का निर्वहन किया है। हमें गर्व है कि ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन एवं इसके नेताओं पर जिन्होंने वर्ष 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिए किए गए संघर्ष को नेतृत्व देने और राष्ट्रीयकरण को हासिल करने में पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाई थी।

आम आदमी की बचत बैंकों में सुरक्षित

मध्य प्रदेश बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन के महासचिव वीके शर्मा ने बताया कि आज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एक बहुत बड़े स्तर पर विस्तार हो गया है। बैंकों की शाखाएं देश के कोने-कोने में फैल गई हैं। आज़ सभी व्यावसायिक बैंकों की कुल जमाराशियां 212 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। इस प्रकार, आम आदमी की बचत इन बैंकों में सुरक्षित है। आज, आम आदमी एक बैंक की शाखा में प्रवेश कर सकता है और बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकता है। आज बैंक का ऋण सभी जीवंत और मूलभूत क्षेत्रों- कृषि, रोजगार उत्पादन, गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तीकरण, लघु, मध्यम एवं सूक्ष्म उद्योगों, स्वास्थ व शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, निर्यात इत्यादि के लिए उपलब्ध है। आज़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकारी योजनाओं और प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहे हैं जिससे विकास की गति में वृद्धि हो रही है। आज़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक रोजगार सृजन, प्रत्यक्ष रोजगार और अप्रत्यक्ष रोजगार दोनों में सहायता कर रहे हैं।

तरक्की और विकास के इंजन बने बैंक

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक तरक्की और विकास के इंजन बन गए हैं। बैंक राष्ट्र निर्माण के वित्तीय संस्थान है और हमें इन बैंकों को शक्तिशाली बनाना चाहिए। पिछले पांच दशकों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने विपत्ति में सेवक का काम किया है, उन्हें मजबूत बनाने और देश के स्वराज्य एवं आत्मनिर्भर भारत के लिए उन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है।

खराब होते ऋण बैंकों की सबसे बडी समस्‍या

हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कमजोर करने या हमारे बैंकों का निजीकरण करने से आत्मनिर्भर या स्वयं पर भरोसा हासिल नहीं किया जा सकता है। हमारे देश में निजी बैंकों के संबंध में हमारा बहुत कड़वा अनुभव रहा है। हमारे बैंकों की सबसे मुख्य समस्या – निजी कंपनियों, औद्योगिक घरानों और कॉरपोरेटस् के खतरनाक रूप से विशालकाय होते हुए ख़राब ऋण हैं। यदि उन पर कठोर कार्रवाई की जाए और रकम की वसूली हो जाती है तो हमारे बैंक राष्ट्र के विकास में एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। बैंक ऋण चूककर्ताओं को छूट देने और बैंकिंग करने वाली जनता को उनकी बचत पर कम ब्याज देना तथा सेवा शुल्कों में बढ़ोत्तरी की वर्तमान प्रथा को तुरंत प्रभाव से रोका जाना चाहिए।

इन कदमों से सरकार कर सकती है बैंक व अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत

बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस पर हमारी मांग है कि बैंक निजीकरण के प्रयास बंद करो, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करो, सभी बैंकों को समुचित पूंजी प्रदान करो, कारपोरेटस् के ख़राब ऋणों की वसूली के लिए कठोर एवं कारगर कदम उठाए जाएं, जानबूझकर ऋण नहीं चुकाना दंडनीय अपराध बनाया जाए, सभी ऋण चूककर्ताओं के नाम प्रकाशित किए जाएं, बैंक ऋण चूककर्ताओं को सार्वजनिक पदों से चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाए, वसूली कानूनों को शक्तिशाली बनाया जाए , आईबीसी की समीक्षा हो, जमाराशियों पर ब्याज दर में वृद्धि हो, आम जनता द्वारा बैंकिंग सेवा के उपयोग हेतु सेवा शुल्कों को कम किया जाए, बेहतर ग्राहक सेवा के लिए शाखाओं में उचित संख्या में कर्मचारी मुहैया कराए जाएं तथा समस्त निजी क्षेत्र के बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
वक्ताओं ने बैंक कर्मियों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रक्षा करने, बैंकों के निजीकरण का विरोध करने तथा बैंक के ग्राहकों को बेहतर, त्वरित एवं उत्तम ग्राहक सेवा प्रदान करने का आह्वान किया।
अंत में सभा में बैंक कर्मियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रक्षा करने , बैंकों के निजीकरण के प्रयासों को परास्त करने तथा बैंक के ग्राहकों को बेहतर – त्वरित एवं उत्तम ग्राहक सेवा प्रदान करने का संकल्प लिया।
सभा में विभिन्न बैंकों की ट्रेड यूनियन के पदाधिकारी गण आनंद गोखले, डीके सिंह, अनिल यादव, विजयपाल, शैलेंद्र नरवरे, शाहिद खान, जीतू भाई, राजेश नील ,सुदेश कल्याणे, मोहन कल्याणे आदि उपस्थित थे।

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