इस वित्तीय वर्ष में हम बीमा संबंधी 100 प्रतिशत शिकायतों का करेंगे समाधान : रवीन्द्र मोहन सिंह
भोपाल में बीमा लोकपाल दिवस का हुआ आयोजन
विवेक झा, भोपाल। मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ का बीमा ग्राहक काफी जागरूक हुआ है और यदि उसे बीमा कंपनी से कोई शिकायत होती है या बीमा कंपनी द्वारा उसका समाधान नहीं किया जाता है तो वह उसकी शिकायत बीमा लोकपाल में करता है। हम भी उसका तुरंत समाधान करते हैं ताकि ग्राहक को कोई परेशानी न हो। यह जानकारी मप्र-छग के बीमा लोकपाल रवीन्द्र मोहन सिंह ने बीमा लोकपाल दिवस के अवसर पर मीडिया को दी। इस अवसर पर असिस्टेंट सेकेट्री अनुराग अग्रवाल, मुख्य अतिथि जस्टिस आलोक वर्मा, स्पेशलिस्ट संदीप वलुस्कर, बीमा लोकपाल के कर्मचारीगण व बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि उपिस्थत थे। कार्यक्रम के दौरान सभी बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण में आने वाली दिक्कतों पर चर्चा की तथा कुछ सुझाव भी शेयर किए।
श्री सिंह ने बताया कि जिस प्रकार से बीमा का कवरेज बढ़ा है शिकायतें भी बढ़ी हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में हमारे लोकपाल कार्यालय में कुल 2965 शिकायतें प्राप्त हुई तथा इनमें से 2289 शिकायतों का निपटारा किया गया। कुल शिकायतों का निपटारा 77.20% रहा है। 31 अक्टूबर तक कुल 231 शिकायतें बकाया है। हम इस वित्तीय वर्ष में 100 प्रतिशत शिकायतें हल करके इनकी संख्या शून्य पर लाऐंगे। सबसे ज्यादा शिकायतें हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर से रहीं उसके बाद जनरल इंश्योरेंस का नंबर रहा। प्राइवेट क्षेत्र की बीमा कंपनियों की ज्यादा शिकायतें रहीं। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में लगभग सभी प्रकरणों की सुनवाई ऑनलाइन माध्यम से की जा रही है। फरवरी 2021 से शिकायत दर्ज करने के लिए ऑनलाइन सुविधा की शुरुआत की गयी है, जहाँ शिकायतकर्ता कहीं से भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है, उसे लोकपाल कार्यालय में आने की आवश्यकता नहीं है। बीमा लोकपाल कार्यालय में पीड़ित बीमित द्वारा जीवन बीमा, सामान्य बीमा तथा स्वास्थ्य बीमा कम्पनियों एवं बीमा ब्रोकर्स के विरुद्ध शिकायत करने के लिए कोई भी शुल्क नहीं देना होता है।
17 स्थानों पर हैं बीमा लोकपाल कार्यालय
वर्तमान में बीमा लोकपाल के कार्यालय देश के 17 स्थानों पर स्थित है, जिनके नाम इस प्रकार हैं-अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, एर्नाकुलम, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नॉएडा पटना और पुणे। बीमा कंपनियों के लिए लोकपाल के फैसले का पालन 30 दिन के अंदर करना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर बीमाधारक इसकी जानकारी लोकपाल कार्यालय को दे सकता है। ऐसी स्थिति में बीमा कंपनियों ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
50 लाख रुपये तक के मामले निपटा सकेंगे बीमा लोकपाल
रवीन्द्र मोहन सिंह ने बताया कि बीमा लोकपाल के पास दावा निपटान से जुड़ी राशि सीमा को बढ़ा दिया गया है। देशभर में बीमा लोकपाल कार्यालय अब 50 लाख रुपये तक के दावों से जुड़ी शिकायतें निपटा सकेंगे। पहले इन कार्यालयों को 30 लाख रुपये तक राशि वाली शिकायतें लेने की ही इजाजत थी। हाल ही में वित्त मंत्रालय ने इसके लिए नियमों में बदलाव किया है। बीमा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां और बीमा लोकपाल कार्यालय से जुड़े अधिकारी लंबे समय से इस सीमा को बढ़ाने की मांग कर रहे थे।
90 दिन में निपटारा जरूरी
श्री सिंह ने बताय कि लोकपाल के पास शिकायत करने से पहले बीमाधारक को संबंधित कंपनी में लिखित शिकायत देनी होती है। इसके बाद उसे 30 दिन तक इंतजार करना होता है। अगर बीमा कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है तब लोकपाल कार्यालय में शिकायत की जा सकती है। लोकपाल को शिकायत का निपटारा 90 दिन में करना जरूरी है।
बीमा कंपनियों से बीमा लोकपाल की अपेक्षाएँ
इस अवसर पर बीमा लोकपाल ने बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों को एक पत्र सौंपा जिसमें बीमा कंपनियों से अपेक्षाएं की गई थी ताकि बीमा ग्राहक को परेशानी से बचाया जा सके। ये अपेक्षाएं इस प्रकार हैं :
- शिकायत प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर एससीएन प्रस्तुत किया जाना चाहिए। बीमा कंपनियों को अपलोड की गई पंजीकृत शिकायतों के लिए सीएमएस पोर्टल की जांच करनी चाहिए।
- दावे को अस्वीकार करने का कारण स्पष्ट होना चाहिए, जिसमें वह धारा/खंड दिया जाना चाहिए जिसके अंतर्गत दावे को अस्वीकार किया गया है, साथ ही दावे को अस्वीकार करने के लिए जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया है, उनका उल्लेख होना चाहिए।
- निःशुल्क लुक-अप मामलों में, एससीएन में अस्वीकृति की तारीख और प्रमाण शामिल होना चाहिए।
- पॉलिसी बांड की डिलीवरी।
- शिकायतकर्ता द्वारा भुगतान किए गए कुल प्रीमियम का भी उल्लेख एससीएन में किया जाना चाहिए।
- प्रतिनिधि को मामले की अच्छी जानकारी होनी चाहिए तथा उसके पास मौके पर निर्णय लेने के लिए आवश्यक प्राधिकार होना चाहिए।
- पुरस्कारों का समय पर और संतोषजनक अनुपालन।
- पुरस्कार का अनुपालन सीएमएस मॉड्यूल में अद्यतन किया जाना चाहिए अन्यथा हमें मेल के माध्यम से सूचना भेजी जानी चाहिए।
गैर- जीवन
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एससीएन
- अपलोड की गई पंजीकृत शिकायतों के लिए सीएमएस पोर्टल की जांच करना।
- निर्धारित समय के भीतर प्रस्तुत करना होगा।
- सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत् हस्ताक्षरित और मुहरबंद होना चाहिए, भले ही एससीएन भेजा गया हो
- ईमेल के माध्यम से। आधिकारिक लेटर हेड पर भेजा जाना चाहिए,
- सभी दावे से संबंधित दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया जाना है।
- कम निपटान के मामले में किसी भी राशि की अस्वीकृति/कटौती के लिए उचित कारण होना चाहिए।
2. मोटर दावों में प्रारंभिक, अंतिम और पुनः निरीक्षण रिपोर्ट/जांच रिपोर्ट, यदि कोई हो, और अन्य संबंधित दस्तावेज होने चाहिए।
3. सुनवाई में भाग लेने वाले अधिकारी का नाम, पदनाम, मोबाइल नंबर एससीएन के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
4. अन्य लोकपाल द्वारा पारित आदेशों को उनकी एस.सी.एन. में संदर्भित करने की आवश्यकता नहीं है।
5. अस्वीकृति/अस्वीकृति पत्र में पॉलिसी खंड/नियम/शर्तों के साथ अस्वीकृति का विशिष्ट कारण शामिल होना चाहिए।
6. शिकायतकर्ता के साथ सभी पत्राचार के सबूत संलग्न किए जाने चाहिए (विशेष रूप से यदि डाक के माध्यम से नहीं भेजे गए हों)