सनातन संस्कृति, धार्मिक कार्यों एवं ब्राह्मणो पर हास्यजनक टिप्पणी अमान्य एवं निंदनीय – आचार्य दिनेश

बिलासपुर। सोची समझी साजिश के तहत हिंदू मान्यताओं, परंपराओं, कर्मकांड और विशेष कर ब्राह्मणों पर हमले सोशल मीडिया पर लगातार तेज हो रहे हैं। इसके पीछे भारतीय परंपराओं को खंडित करने के साथ ब्राह्मणों के प्रति अन्य जातियों में दुराव उत्पन्न करना है। इसे लेकर अब संत समाज ने अपना प्रतिरोध दर्ज कराया है।

आचार्य डॉक्टर दिनेश जी महाराज पीतांबरा पीठाधीश्वर अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज छत्तीसगढ़ प्रमुख ने श्राद्ध पक्ष को लेकर जिस प्रकार से सोशल मीडिया पर मिम्स,जोक्स चल रहे है, जिसमें श्राद्ध पक्ष पर ब्राह्मणों को लेकर जिस प्रकार की हास्यजनक असम्मानजनक टिप्पणी की जा रही है जिसमे ब्राह्मणों का खाने का वर्ल्डकप से लेकर कौवों की मौज बहार का जिक्र है। यह हमारी सनातन सभ्यता संस्कृति पर एक तरीके का सीधा कटाक्ष है। जो की अत्यंत ही दुख का विषय एवं निंदनीय है। श्राद्ध पक्ष एक अत्यंत पवित्र पखवाड़ा है, जिसमे अपने पूर्वजों को ,पितरों को याद करने का प्रावधान है।

आपसे न कोई ब्राह्मण यह मांग कर रहा है कह रहा है कि उसे खीर पूरी खिलाओ, ना कोई कौवा खीर पूरी की मांग कर रहा है….. अगर आप इस रीति – रिवाज को मानते है तो उसका पालन करे, नही मानते है तो इस पवित्र पितृ पक्ष की उपेक्षा कर अपने नित्यकार्य करे…. लेकिन इस प्रकार धार्मिक मान्यताओं का हास्य न बनाये। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि श्राद्ध पक्ष मे सोशल मिडिया मे कुछ बाते जोर शोर से चल रही है जैसे कि जीवित माता पिता को भूखा रखा और मरने के बाद कौवो को ब्राह्मणो को गाय को कुत्ते को भोजन देने से क्या फायदा है, तो जीवित माता पिता को तृप्त करने के लिए आपको किसी ने मना नहीं किया है, रही बात भोजन कि तो जो अपने माता-पिता का सम्मान नहीं कर सकते उन दुष्ट आत्माओं से किसी ने भोजन नहीं मांगा, रही बात तर्पण करने कि तो उनके नाम जो भी धार्मिक कार्य अपने पितरों के लिए कर रहे हैं इसका प्रत्यक्ष फायदा पितरों को न प्राप्त होकर वह आपको ही प्राप्त होगा एवं वह आपके ही काम आएगा। ”आत्मा को दुखाकर किया गया धर्म पापकर्म के बराबर है यह बात कहाँ तक सत्य है, ॥धर्मो रक्षति रक्षित:॥ मानता हूं कि समाज में कुछ लोग अपने जीवीत माता-पिता की उपेक्षा करते है।उनका सम्मान नही करते, पर वही समाज में बहुत से ऐसे लोग भी है जो अपने माता-पिता की भगवान् के समान सेवा करते है।उनका पूरा ख्याल रखते है,देखभाल करते है।और उनके संसार से जाने के बाद भी पूरी श्रद्धा व प्रेम से पितृ तर्पण करते है।यही मानते हुए की हमारे माता-पिता हमारे पूर्वज जहां भी हो हम उन्हे आज भी उतनी ही श्रद्धा से प्रेम से याद करते है।उन्हे जल अर्पण करते है।संसार में कुछ लोग ऐसे भी है जो जीते जी तो एक गिलास पानी भी उठकर नही देते है,अपने माता-पिता को और उनके जाने के बाद खूब ढोंग करेंगे,दान दक्षिणा करेंगे। पर इसका यह मतलब नही की आप सभी को एक ही नजर से देखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button