30 हजार बच्चों पर न्यूरोइमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल कर किया विश्लेषण

बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ने से उनकी बौद्धिक क्षमता में अंतर देखने को मिला है। एक अध्ययन में लगभग 30 हजार बच्चों पर न्यूरोइमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल कर विश्लेषण किया गया है। कोविड महामारी के बाद स्क्रीन टाइम बढ़ने से 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सबसे ज्यादा अवरुद्ध हुआ है, क्योंकि बच्चों में सीखने, समझने का ज्यादातर विकास 12 वर्ष की आयु तक होता है। पिछले दिनों हुए न्यूरोइमेजिंग शोध के अनुसार कोविड के बाद बच्चे स्मार्टफोन, टैब और टीवी पर गेम खेलने में ज्यादा समय बिता रहे हैं, जिससे उनके सोचने समझने की क्षमता पर प्रभाव पड़ रहा है।

30 हजार बच्चे किए शामिल
डिवाइस का असर जानने के लिए 30 हजार बच्चों पर न्यूरोइमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। शोध के प्रमुख लेखक हांगकांग शिक्षा विश्वविद्यालय के डॉ. डंडन वू कहते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षक और अभिभावक को ध्यान देना चाहिए कि डिजिटल डिवाइस बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है।

बच्चों को डिजिटल क्रांति के अनचाहे संक्रमण से बचाएं
ऐसे में उन्हें बच्चों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए। वू कहते हैं, नीति निर्माताओं के लिए जरूरी है कि वे ऐसी नीतियां बनाएं, जिससे बच्चों को डिजिटल क्रांति के अनचाहे संक्रमण से बचाया जा सके।

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