मिलेट्स-ऑर्गेनिक फूड स्टार्टअप : सीएम योगी की प्रेरणा से गल्फ कंट्रीज के मार्केट में धाक जमाएंगी यूपी की बेटियां

दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई करके अपने गांव लौटीं और गांव की ही महिलाओं को दे रहीं रोजगार

किसानों को प्रशिक्षण देकर करवाती हैं प्राकृतिक और रसायन-मुक्त खेती

लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन और प्रेरणा से उत्तर प्रदेश की बेटियां न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाने को तैयार हैं। मिलेट्स आधारित ऑर्गेनिक फूड स्टार्टअप के जरिए यूपी की दो बेटियों ने ऐसा काम कर दिखाया है, जो प्रदेश की नई उद्यमशील शक्ति का प्रतीक बन रहा है। दिल्ली-एनसीआर में मजबूत पकड़ बनाने के बाद अब इनका लक्ष्य गल्फ कंट्रीज का बाजार है, जहां ऑर्गेनिक और मिलेट्स उत्पादों की धाक जमाने की पूरी तैयारी है। इसके लिए विशेष तौर पर किसानों को प्रशिक्षण देकर प्राकृतिक और रसायन-मुक्त खेती करवाई जा रही है।

डीयू से लौटीं बेटियां, अपने गांव की महिलाओं को दिया रोजगार
दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद पारंपरिक करियर की राह छोड़कर गांव लौटने वाली शिखा सिंह चौहान और सोम्या सिंह ने सामाजिक उद्यमिता का रास्ता चुना। किसानों और ग्रामीण महिलाओं को साथ लेकर उन्होंने ऑर्गेनिक और मिलेट्स आधारित खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में कदम रखा। आज उनकी यूनिट में 15 से अधिक महिलाएं उत्पादन, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग का जिम्मा संभाल रही हैं। शिखा सिंह चौहान दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट और नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी गांधीनगर, गुजरात से फूड टेक्नोलॉजी में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं। वहीं, सोम्या सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय से फूड टेक्नोलॉजी में बी.टेक हैं।

महिला-नेतृत्व वाला एग्रीबिजनेस मॉडल हो रहा मजबूत
सोम्या सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) के सहयोग से प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट का विस्तार हुआ। इससे न सिर्फ उत्पादन क्षमता बढ़ी, बल्कि महिला-नेतृत्व वाले एग्रीबिजनेस मॉडल को भी मजबूती मिली। यही कारण है कि दिल्ली-एनसीआर में ऑर्गेनिक फूड के बाजार में इनका ब्रांड तेजी से उभरा है।

खेत से थाली तक पारदर्शी मॉडल
सोहा ऑर्गेनिक्स की को-फाउंडर शिखा सिंह चौहान नागली वाजिदपुर, सेक्टर 130, गौतम बुद्ध नगर की रहने वाली हैं। जबकि उनकी पार्टनर सोम्या सिंह बागपत जिले की निवासी हैं। रासायनिक खाद्य पदार्थों और उनसे होने वाली समस्याओं से लोगों को बचाने के लिए उन्होंने मिलेट्स-ऑर्गेनिक फूड स्टार्टअप की शुरुआत की। यह स्टार्टअप फार्म-टू-फोर्क मॉडल पर काम करता है। छोटे किसानों से सीधे कच्चा माल खरीदा जाता है और उन्हें उचित मूल्य दिया जाता है। बिचौलियों के हटने से सप्लाई चेन पारदर्शी बनी है, वहीं उपभोक्ताओं को शुद्ध, रसायन-मुक्त और पोषण से भरपूर उत्पाद मिल रहे हैं।

दिल्ली-एनसीआर से नेफेड तक सप्लाई
ऑर्गेनिक दालें, मसाले, घी, मिलेट पास्ता, मिलेट नूडल्स, मल्टीग्रेन और सत्तू चीला समेत तमाम तरह के उत्पाद यहां से सीधे मार्केट में जाते हैं। इसके बदले किसानों को उनका उचित मूल्य भी दिया जाता है। इसमें बड़े पैमाने पर बागपत से खांडसारी शुगर का उत्पाद लोगों के बीच पहुंचाया जाता है। वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ नेफेड (NAFED) को भी उत्पादों की आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा सरकारी पोषण कार्यक्रमों के लिए विशेष उत्पाद विकसित करने की दिशा में भी काम चल रहा है, जिससे कमजोर वर्गों तक सुरक्षित और पौष्टिक भोजन पहुंच सके।

गल्फ कंट्रीज पर नजर, ‘मेड इन यूपी’ की तैयारी
शिखा सिंह चौहान ने बताया कि ऑर्गेनिक और मिलेट्स उत्पादों की बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए अब अगला लक्ष्य गल्फ देशों का बाजार है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पैकेजिंग और क्वालिटी कंट्रोल पर खास फोकस किया जा रहा है, ताकि विदेशों में भी उत्तर प्रदेश का नाम रोशन किया जा सके।
स्वास्थ्य, सततता और महिला सशक्तिकरण से निकली यूपी की बेटियों की सफलता की कहानी बताती है कि सही नीति, सरकारी सहयोग और दृढ़ संकल्प हो, तो हमारी बेटियां वैश्विक मंच पर भी परचम लहरा सकती हैं। मिलेट्स ऑर्गेनिक फूड स्टार्टअप के जरिए उभरती यह पहल न सिर्फ एक कारोबार है, बल्कि आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नई पहचान भी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button