“पांच दिवसीय बैंकिंग हमारा अधिकार” — सरकार की अनदेखी पर बैंककर्मियों का आर–पार का ऐलान
UFBU के आह्वान पर भोपाल में सैकड़ों बैंक कर्मी सड़कों पर उतरे, राष्ट्रव्यापी हड़ताल की चेतावनी

विवेक झा, भोपाल, 30 दिसंबर 2025। सप्ताह में पांच दिवसीय बैंकिंग व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर बैंक कर्मियों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के आह्वान पर मंगलवार को देशभर में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किए गए। इसी क्रम में राजधानी भोपाल में सैकड़ों बैंक कर्मचारी और अधिकारी शाम 5:30 बजे पंजाब नेशनल बैंक जोनल ऑफिस, अरेरा हिल्स के सामने एकत्रित हुए और जोरदार नारेबाजी करते हुए प्रभावी प्रदर्शन एवं सभा का आयोजन किया। सभा को फोरम मैं शामिल बैंक यूनियंस के पदाधिकारियों वी के शर्मा, सुबिन सिन्हा, नजीर कुरैशी, निर्भय सिंह ठाकुर, संजय कुदेशिया, भगवान स्वरूप कुशवाहा, सुनील सिंह, वी एस नेगी, दीपक रत्न शर्मा, दिनेश झा, अनिल कुमार श्रीवास्तव, मनीष भार्गव, अम्बरीश नंदा, हरिशंकर पांडे, सुमित मिश्रा, कपिल मेघानी, विशाल जैन, शिवा मोहन मिश्र, गुणशेखरन, अशोक पंचोली, प्रभात खरे,जे पी दुबे, देवेंद्र खरे, सत्येंद्र चौरसिया, कैलाश माखीजानी, राजीव उपाध्याय महेंद्र गुप्ता, अमित गुप्ता, अमोल अचवाल, वैभव गुप्ता ,के वासुदेव सिंह, मनीष यादव, अविनाश धमेजा, श्रीपाद घोटनकर आदि ने संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि यह कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि अपने अधिकार की निर्णायक लड़ाई है। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि बैंक कर्मचारी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं—चाहे नोटबंदी हो, कोरोना काल हो या जनधन–आधार–डीबीटी जैसी सरकारी योजनाएं, हर मोर्चे पर बैंक कर्मियों ने अग्रिम पंक्ति में रहकर जिम्मेदारी निभाई है।
“काम ज्यादा, सुविधाएं कम—यह भेदभाव क्यों?”
वक्ताओं ने सवाल उठाया कि जब लगभग सभी सरकारी विभागों, बीमा क्षेत्र, RBI, NABARD, SEBI और कई निजी संस्थानों में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह लागू है, तो बैंक कर्मचारियों को इससे वंचित क्यों रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बैंकों में स्टाफ की भारी कमी है, काम का दबाव असहनीय होता जा रहा है, डिजिटल बैंकिंग के कारण काम के घंटे अनिश्चित हो चुके हैं और हर विफलता का दोष बैंक कर्मियों पर मढ़ दिया जाता है।

स्वास्थ्य, परिवार और सेवा गुणवत्ता से जुड़ा सवाल
सभा में कहा गया कि पांच दिवसीय बैंकिंग कोई विलासिता नहीं, बल्कि कर्मचारियों के स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन और सेवा गुणवत्ता से जुड़ा मुद्दा है।
वक्ताओं ने दो टूक कहा—
“थका हुआ कर्मचारी बेहतर सेवा नहीं दे सकता। यह बात सरकार और बैंक प्रबंधन को समझनी होगी।”

सरकार को साफ संदेश
प्रदर्शन के माध्यम से सरकार, वित्त मंत्रालय और बैंक प्रबंधन को स्पष्ट संदेश दिया गया कि घोषित सहमति के बावजूद निर्णय में की जा रही देरी अब स्वीकार्य नहीं है।
वक्ताओं ने कहा कि UFBU का इतिहास संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा है और जब-जब अधिकारों पर हमला हुआ, बैंक कर्मियों ने एकजुट होकर जवाब दिया है।
राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारी का आह्वान
सभा के अंत में बैंक कर्मियों से अपील की गई कि वे एकजुट रहें, अफवाहों से दूर रहें और आने वाले दिनों में और अधिक संघर्ष एवं राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल के लिए तैयार रहें।
एक स्वर में यह संकल्प दोहराया गया—
“पांच दिवसीय बैंकिंग सप्ताह हमारा अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे।”

काफी संख्या में बैंककर्मी रहे उपस्थित
प्रदर्शन एवं सभा में वी के शर्मा, सुबिन सिन्हा, नजीर कुरैशी, निर्भय सिंह ठाकुर, संजय कुदेशिया, भगवान स्वरूप कुशवाहा, सुनील सिंह, वी एस नेगी, दीपक रत्न शर्मा, दिनेश झा, अनिल कुमार श्रीवास्तव, मनीष भार्गव, अम्बरीश नंदा, हरिशंकर पांडे, सुमित मिश्रा, कपिल मेघानी, विशाल जैन, शिवा मोहन मिश्र, गुणशेखरन, अशोक पंचोली, प्रभात खरे,जे पी दुबे, देवेंद्र खरे, सत्येंद्र चौरसिया, कैलाश माखीजानी, राजीव उपाध्याय, महेंद्र गुप्ता, अमित गुप्ता, अमोल अचवाल, वैभव गुप्ता, के वासुदेव सिंह, मनीष यादव, श्याम रेनवाल, अविनाश धमेजा, श्रीपाद घोटनकर, सनी शर्मा, जितेंद्र दोहरे, राहुल वाधवानी, आयुषी मालवीया, सनी श्रीवास्तव, परिणीता केसरी, भूमिका राजपूत, रवीना मिश्रा, अदरीजा सिंह, जीत सिंह नागर, बृजेंद्र सिंह, सुनील तेजवानी, जीतू देना बैंक, प्रदीप कटारिया, अवध वर्मा, राजीव उपाध्याय, अमित प्रजापति, देवीदास अहिरवार, किशोरय सिंह, चंदेले, प्रशांत रघुवंशी, सत्य प्रकाश मीणा, संतोष मालवीय, राज भारती, डी के सिंह, दिनेश सूर्यवंशी, मनोज गढ़वाल, हरीश शर्मा, मोहन मालवीय, संजय रायकवार, प्रकाश रायकवार, अभिनव एंड्रयूज (गोलू,) प्रमोद पाल, राजेश्वरी, नितिन भिकानी, शालिनी सिंह, हर्निका सतनानी, इंद्रजीत सोलंकी, अभिषेक पांडे, आस्तीक बाजपेई, संजय कुमार, हरीश अग्रवाल, तरुण लामा, सलिल सारस्वत, शोभना बोपचे, संजीव पटेल, आशा ज्योति, सुरेश कुमार, कुमारी प्रभजीत, संजय कुमार मिश्रा, मोहन कल्याणे, मयूर मल्होत्रा, श्रीकांत परांजपे, मोहन कल्याणे, सुदेश कल्याणे, अजय धारीवाल, लीला किशन, राजेश इंगले, संजय धान ,शैलेंद्र नरवरे, इमरत रायकवार सहित बड़ी संख्या में बैंक कर्मचारी–अधिकारी उपस्थित रहे।





