राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का असर मालवा निमाड़ में नहीं दिखा

इंदौर

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद हुई मतगणना में बीजेपी को बहुमत मिला तो वहीं सत्ता में वापसी की राह तलाश रही कांग्रेस के हाथ एक बार फिर से मायूसी ही हाथ लगी. फिलहाल इस बीच मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर जोरों पर चर्चा हो रही है. दरअसल राहुल गांधी ने मालवा निमाड़ के 6 जिलों में भारत जोड़ो यात्रा की थी. फिलहाल इस यात्रा का कोई भी असर चुनाव में देखने को नहीं मिला.

दरअसल कांग्रेस नेता ने अपना जनाधान बढ़ाने और जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी. नवम्बर 2022 में इस यात्रा ने मध्यप्रदेश के बुरहानुपर में प्रवेश किया था और 27 नवम्बर 2023 को उज्जैन होते हुए ये राजस्थान निकल गई थी. मालवा निमाड़ की 30 सीटों पर ये यात्रा निकाली गई थी. फिलहाल कांग्रेस की यह यात्रा भी विधानसभा चुनाव में उसके लिए मददगार साबित नहीं हो सकी.

भारत जोड़ो यात्रा से भी नहीं मिला कांग्रेस को फायदा

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल और प्रियंका गांधी ने मालवा निमाड़ की 30 सीटों पर प्रचार और जनसंवाद किया था, लेकिन इनमें से केवल पांच सीटों पर कांग्रेस अपनी लाज बचाने में सफल हो सकी है, वहीं बाकी की 25 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार विजयी हुए हैं. वहीं विधानसभा चुनाव में भारत जोड़ो यात्रा को मिले इस निराशाजनक रिस्पांस ने कांग्रेस नेताओं को हार की वजह पर काम करने को मजबूर कर दिया है.

खंडवा में नहीं खुला खाता

मध्य प्रदेश के आगर-मालवा में दो सीट है, इसमें एक सीट कांग्रेस और एक बीजेपी के खाते में गई. उज्जैन की सात में से पांच सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और केवल दो सीट कांग्रेस के खाते में गई. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चार सीट जीती थी. खंडवा की चार विधानसभा सीटों में कांग्रेस का खाता ही नहीं खुला. दो आदिवासी सीट सहित सभी चारों सीट बीजेपी के खाते में गई. जबकि 2018 में यहां कांग्रेस के पास एक मांधाता सीट थी.

इंदौर में भी कांग्रेस का सुपड़ा साफ

इसके अलावा बुरहानपुर की दो विधानसभा सीट जिसमें बुरहानपुर और नेपानगर दोनों पर ही बीजेपी ने जीत दर्ज की है. बीते चुनाव में यहां बीजेपी ने एक भी सीट नहीं निकाल पाई थी और एक कांग्रेस और एक निर्दलीय पास गई थी. वहीं खरगोन जो कांग्रेस का गढ़ था, यहां की छह में से कांग्रेस ने 2018 में पांच सीट जीती और एक निर्दलीय के पास थी, यहां बीजेपी जीरो थी, लेकिन इस चुनाव में यहां बीजेपी ने चार सीट जीती हैं. इंदौर की नौ सीट में साल 2018 में कांग्रेस के पास चार सीट थी, लेकिन इस बार 33 साल बाद कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई है.

खरगोन जिले में कांग्रेस से तीन सीटें छिनीं
खरगोन जिला कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। पिछले चुनाव में भाजपा इस जिले में अपना खाता नहीं खोल पाई थी। भारत जोड़ो यात्रा इस जिले से भी गुजरी, लेकिन उसका प्रभाव नहीं दिखा। जिले की छह में से तीन सीटें भाजपा ने कांग्रेस से छिन लीं। बड़वाह सीट पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास थी। इस बार यह सीट भाजपा ने जीती और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सचिन बिरला फिर विधायक बन गए।

पटवारी भी नहीं बचा पाए अपनी सीट
भारत जोड़ो यात्रा में जीतू पटवारी राहुल गांधी के पूरे समय साथ रहे और उन्होंने यात्रा के बहाने अपना राजनीतिक कद भी बढ़ाने की कोशिश की। भारत जोड़ो यात्रा महू विधानसभा सीट के बाद राऊ भी पहुंची थी, लेकिन पटवारी अपनी सीट नहीं बचा पाए। इंदौर जिले में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।

उज्जैन में की थी राहुल ने बड़ी सभा, दो सीटें मिली कांग्रेस को
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने उज्जैन जिले पर फोकस किया था। उज्जैन में बड़ी आमसभा को उन्होंने संबोधित किया था और महाकाल के दर्शन करने भी गए थे, लेकिन जिले की सात सीटों में से कांग्रेस तराना और महिदपुर विधानसभा सीट ही जीत पाई। शेष पांच सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते। पिछले चुनाव में नागदा, घट्टिया सीटें कांग्रेस के पास थीं। राहुल गांधी आगर जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों के बाद राजस्थान गए थे, लेकिन आगर की सीट भाजपा ने कांग्रेस से छिन ली। हालांकि, सुसनेर सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया।

राहुल गांधी के यात्रा वाले क्षेत्र में पड़ती हैं 21 सीटें

पिछले साल 23 नवंबर से चार दिसंबर के बीच 'भारत जोड़ो यात्रा' ने मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र में दाखिल हुई थी। बाद में इस क्षेत्र के छह जिलों, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर मालवा से होकर ये यात्रा निकली। इस दौरान राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने 380 किलोमीटर की दूरी तय की। इसमें कुल मिलाकर 21 सीटें हैं।
 

17 सीटों पर जीती बीजेपी, 4 पर सिमटी कांग्रेस

बीजेपी ने 2018 में इनमें से 14 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस सात सीटों पर विजयी रही थी। इस बार 2023 के चुनावों में बीजेपी ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 17 कर ली। वहीं कांग्रेस चार सीटों पर सिमट गई। बीजेपी की अर्चना चिटनीस ने बुरहानपुर, मंजू दादू ने जिले की नेपानगर सीट से जीत हासिल की। बुरहानपुर सीट 2018 में निर्दलीय उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह शेरा ने जीती थी, जो इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर असफल रहे।
 

कांग्रेस की सुमित्रा कास्डेकर ने 2018 में नेपानगर सीट जीती, लेकिन बाद में उन्होंने पाला बदल लिया और 2020 के उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनी गईं। बीजेपी ने यह सीट बरकरार रखी है। बीजेपी के नारायण पटेल और छाया मोरे भी क्रमश: मांधाता और पंधाना से जीते। पंधाना सीट पर 2018 में बीजेपी के राम दांगोरे ने जीत हासिल की थी, जबकि मांधाता सीट पर कांग्रेस के नारायण पटेल जीते थे। पटेल बाद में बीजेपी में चले गए और 2020 में उपचुनाव जीते। उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी ने फिर से टिकट दिया।

खरगोन जिले में 'भारत जोड़ो यात्रा' बड़वाह और भीकनगांव विधानसभा सीट से होकर गुजरी। बड़वाह से बीजेपी के सचिन बिड़ला जीते तो भीकनगांव से कांग्रेस प्रत्याशी झूमा सोलंकी विजयी रहीं। 2018 में दोनों सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। बड़वाह विधायक सचिन बिड़ला बाद में बीजेपी में शामिल हो गए।
 

इंदौर की सभी आठ सीटों पर खिला 'कमल'

'भारत जोड़ो यात्रा' इंदौर जिले की सभी आठ सीटों पर पहुंची। यहां सभी आठ सीटों पर बीजेपी विजयी रही। बीजेपी की उषा ठाकुर और मधु वर्मा क्रमश: महू और राऊ से जीतीं। इंदौर-1 सीट पर बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने मौजूदा विधायक संजय शुक्ला को हराकर जीत हासिल की। बीजेपी के रमेश मेंदोला (इंदौर-2), गोलू शुक्ला (इंदौर-3), मालिनी गौड़ (इंदौर-4) और महेंद्र हार्डिया (इंदौर-5) भी जीते हैं।

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