किसी सीनियर को जूनियर के अधीन काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट
इंदौर
राजधानी भोपाल और प्रदेश के 18 मेडिकल कॉलेजों में डीन की सीधी भर्ती को लेकर चल रहे विवाद में हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस विजय कुमार शुक्ला ने साफ तौर पर कहा कि किसी सीनियर प्रोफेसर को जूनियर के तहत काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट का सरकार से सवाल
दरअसल, हाई कोर्ट ने इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के लिए वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश पांडे को डीन नियुक्त करने का आदेश भी दिया। दरअसल, डॉ. पांडे की डीन पद पर सीधी भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई हुई थी। इस मामले में जस्टिस शुक्ला ने सरकार से पूछा कि डॉ. पांडे से जूनियर प्रोफेसर डॉ. अशोक यादव को डीन का प्रभार क्यों सौंपा गया, जबकि सरकार कोई ठोस जवाब या दस्तावेज पेश नहीं कर पाई।
हाई कोर्ट ने वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. वेद प्रकाश पांडे को एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर का डीन नियुक्त करने का आदेश भी दिया। दरअसल, प्रो. डॉ. वेद प्रकाश पांडे की इंदौर में डीन के पद पर सीधी भर्ती से नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई हुई।
इसमें जस्टिस शुक्ला ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि डॉ. पांडेय से जूनियर डॉ. अशोक यादव को किस आधार पर डीन का प्रभार सौंपा गया। कोर्ट ने यह पाया कि सरकार ने कोई तथ्य या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं।
अन्य मेडिकल कॉलेजों की सुनवाई 7 जनवरी को
सरकार के वकील ने तर्क दिया कि प्रोफेसरों की गोपनीय रिपोर्ट डीन नहीं, बल्कि कमिश्नर व संचालक लिखते हैंं। हालांकि, इस दावे के समर्थन में कोई दस्तावेज पेश नहीं दे सके। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब 7 जनवरी तक मांगे हैं। अन्य मेडिकल कॉलेजों में डीन की सीधी भर्ती के मामलों की सुनवाई भी इसी दिन निर्धारित की गई है।
7 जनवरी को फिर सुनवाई
वहीं इस पर सरकार के वकील ने तर्क दिया कि डीन की गोपनीय रिपोर्ट कमिश्नर और संचालक लिखते हैं, न की प्रोफेसर। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया। कोर्ट ने सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब 7 जनवरी तक देने को कहा है, और अन्य मेडिकल कॉलेजों में डीन की सीधी भर्ती से जुड़े मामलों की सुनवाई भी उसी दिन होगी।