पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर अमेरिका भड़का

वाशिंगटन
 अमेरिका ने ईरान और पाकिस्तान
के बीच बेहतर संबंधों पर चिंता का इजहार किया है। जो बाइडेन प्रशासन ने तेहरान की परमाणु प्रसार महत्वाकांक्षाओं पर अपनी हदों के बारे में इस्लामाबाद को सूचित कर दिया है। साथ ही ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन के निर्माण को रोकने का भी लक्ष्य रखा है। अमेरिका के विदेश विभाग के अधिकारी और सेंट्रल एशिया मामलों के सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने कहा है कि हमने पाकिस्तान को ये बता दिया है कि हमारे लिए रेड लाइन क्या है।

द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस पैनल में सुरक्षा मामलों पर तेहरान के साथ पाकिस्तान के जुड़ाव और खासतौर से ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में हुए सवाल पर लू ने कहा कि हम इस पर निगाह रख रहे हैं। अगर पाकिस्तान अएपने संबंध ईरान के साथ बढ़ाता है तो यह हमारे रिश्ते के लिए बहुत गंभीर होगा। ईरान और पाकिस्तान की गैस-पाइपलाइन के संदर्भ में विशेष रूप से इस दौरान सवाल हुए। विदेश विभाग के वरिष्ठ राजनयिक लू ने पैनल को बताया कि प्रशासन पाइपलाइन के विकास पर नजर रख रहा है और वह इस पाइपलाइन को होने से रोकने के लिए अमेरिकी सरकार के प्रयासों का पूरा समर्थन करते हैं। हम उस लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। प्रशासन पाइपलाइन मुद्दे पर पाकिस्तानी सरकार के साथ परामर्श कर रहा है।

'इस परियोजना के लिए फंड जुटाना भी होगी चुनौती'

लू ने कहा, "मुझे नहीं पता कि ऐसी परियोजना के लिए फंड कहां से आएगा। मुझे नहीं लगता कि कई अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं को इस तरह के प्रयास को वित्तपोषित करने में दिलचस्पी होगी। हम इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं कि पाकिस्तान के पास अन्य विकल्प क्या हैं? हम उस व्यवसाय के लिए प्रतिस्पर्धा कैसे कर सकते हैं? उन्हें प्राकृतिक गैस के अन्य गैर-ईरानी स्रोत कहां मिल सकते हैं? हम पाकिस्तान को स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन के बारे में सोचने में कैसे मदद कर सकते हैं। पाकिस्तान सौर, पवन और जल विद्युत के माध्यम से ऊर्जा प्रदान करने में बहुत रुचि रखता है। यह कोयले और अन्य हाइड्रोकार्बन पर उनकी निर्भरता को कैसे बदलना शुरू कर सकता है?"

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लू ने बताया कि अमेरिका ने अफगानी शरणार्थियों को लेकर भी पाकिस्तानी सरकार के साथ चर्चा की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सरकार के प्रयासों के बाद पांच लाख से अधिक अफगानी अफगानिस्तान लौट आए हैं। इस प्रक्रिया के पहले दिन से हम इस सामूहिक निर्वासन के मानवीय परिणामों के साथ-साथ उन अफगानों की रक्षा करने की कोशिश करने के लिए भी पाकिस्तानी सरकार के संपर्क में हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तानी लोगों ने 40 वर्षों से अधिक समय से 30 लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों की मेजबानी की है।

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