भारत में जस्टिस डिलीवरी में छत्तीसगढ़ अब सबसे ऊपरी पायदान पर

रायपुर
न्याय प्रदान करने के बारे में देश में राज्यों की एकमात्र रैंकिंग इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर) 2022 की पिछले दिनों घोषणा की गई जिसमे एक करोड़ से अधिक की आबादी वाले  18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में कर्नाटक को शीर्ष पर रखा गया है, उसके बाद तमिलनाडु (2020: दूसरा), तेलंगाना (2020: तीसरा), गुजरात (2020: छठवां) और आंध्र प्रदेश (2020: बारहवां) तथा छत्तीसगढ़ (2020: सातवां) का स्थान है। एक करोड़ से कम जनसंख्या वाले सात छोटे राज्यों की सूची में सिक्किम (2020: दूसरा) पहले स्थान पर, उसके बाद अरुणाचल प्रदेश (2020: पांचवा) और त्रिपुरा (2020: पहला) का स्थान रहा। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट को टाटा ट्रस्ट्स द्वारा 2019 में शुरू किया गया था और यह इसका तीसरा संस्करण है। इसमें सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और हाउ इंडिया लिव्ज, और आईजेआर के डेटा पार्टनर की भागीदारी होती है।

इस तीसरे आईजेआर में 25 राज्य मानवाधिकार आयोगों की क्षमता का अलग से आकलन किया गया  है। छत्तीसगढ़ इस वर्ष दस शीर्ष राज्यों में शामिल है, हालांकि आईआर 2020 के बाद से यह दो स्थान नीचे आ गया है। कानूनी सहायता स्तंभ में अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए, आईजेआर 2020 में 15वीं रैंक से इस वर्ष 11वीं रैंक तक पहुंचा है, हालांकि, अन्य तीन स्तंभों में इसकी रैंक में गिरावट आई है। 2020 और 2022 के बीच 61 तुलनात्मक इंडिकेटर्स में से छत्तीसगढ़ ने 30 में सुधार किया है।

आईजेआर 2019 में, यह 10वें स्थान पर था और जनवरी 2021 में प्रकाशित अगली रिपोर्ट में यह 7वें स्थान पर पहुंच गया। हालाँकि, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के तीसरे संस्करण में, छत्तीसगढ़ के प्रदर्शन में गिरावट आई है और यह निम्नलिखित प्रमुख कारणों से 9वें स्थान पर है।

1. जेलों में डॉक्टरों के 57 प्रतिशत पद रिक्त हैं, साथ ही 52 प्रतिशत मेडिकल स्टाफ नहीं है
2. छत्तीसगढ़ ने लीगल सर्विस क्लीनिक की संख्या में भारी कमी की, 2020 में 217 से 2022 में केवल 1 हो गई
3. राज्य की 33 जेलों में से 47 प्रतिशत अर्थात 15जेलों की आॅक्युपेंसी रेट 150 प्रतिशत से अधिक है
4. 2021 में 27 प्रतिशत अंडरट्रायल कैदियों को एक से तीन साल के लिए हिरासत में लिया गया – राजस्थान (27.5 प्रतिशत) के बाद बड़े राज्यों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी
5. 2018 और 2022 के बीच उच्च न्यायालय और जिला अदालत दोनों स्तरों पर मामलों की निपटान दर में 100 प्रतिशत से कमी आई
6. पश्चिम बंगाल (75 रुपये) और बिहार (83) रुपये के बाद न्यायपालिका पर सबसे कम प्रति व्यक्ति खर्च में से एक, हालांकि यह 2017-18 में 82 रुपये से बढ़ कर 2020-21 में 99 रुपये हो गया है।
7. पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी 7.1 प्रतिशत पर स्थिर है, जबकि उच्च न्यायालय स्तर पर यह 2020 में 14 प्रतिशत से घटकर 2022 में 7 प्रतिशत हो गई है
8. मॉडल प्रिज? मैन्यूअल के तहत कोई मानक पूरा नहीं किया गया है। 2021 में एक डॉक्टर ने 1003 कैदियों का इलाज किया; जबकि एक करेक्शनल आॅफिसर ने 436 कैदियों पर काम किया
9. 2019-20 और 2021-22 के बीच कानूनी सहायता बजट में राज्य के योगदान में बढ़ोतरी हुई, हालांकि, राज्य ने अपने आवंटित धन का केवल 54 प्रतिशत ही उपयोग किया। छत्तीसगढ़ में एनएएलएसए (नालसा) का उपयोग भी 2019-20 में 87 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 75 प्रतिशत हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button