डीएलएस महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस समारोह सम्पन्न

बिलासपुर
डी.एल.एस. स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस समारोह सम्पन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राजभाषा आयोग अध्यक्ष डाॅ. विनय कुमार पाठक, विशिष्ठ अतिथि समन्वय साहित्य परिवार के अध्यक्ष राघेवन्द्र दुबे, डाॅ. राजेश मानस, डाॅ. दिनेश्वर जाधव रहे। अध्यक्षता प्राचार्य डाॅ. रंजना चतुर्वेदी ने की ।

 मुख्य अतिथि ने कहा कि छत्तीसगढ़ लोगसेवा आयोग की परीक्षा में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी को महत्ता, विश्वविद्यालयों में छत्तीसगढ़ी में स्नाकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रम का शुभारंभ, प्रशासनिक शब्दावलियों के साथ लोक व्यवहार व कार्यालयीन छत्तीसगढ़ी का प्रकाशन सचिवालय, मंत्रालय-सहित जिलाधीश कार्यालयों व अन्य केन्द्रीय व निजी संस्थानों में छत्तीसगढ़ी में प्रशिक्षण-संयोजन, छत्तीसगढ़ी सृजनात्मक, शोध और अनुवाद की दिशा में महत्वपूर्ण प्रकाशन, प्रांतीय, संभागीय व जिला-स्तरीय अधिवेशन में राजभाषा विषय चर्चा सहित अनेक कार्य इस दिशा में मील के पत्थर प्रमाणित हुए है। शासन की जिम्मेदारी को आयोग पर थोपना किसी भी दृष्टि से सही नहीं कही जा सकती। विशिष्ठ अतिथि डाॅ. राघवेन्द्र दुबे ने कहा कि डी.एल.एस. महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति पर ग्रंथालय के संग्रहण को इस दिशा में साहसिक कदम बताते हुए जहाँ स्वर्गीय बसंत शर्मा के अवदान का स्मरण किया, वहीं डाॅ. आशा तिवारी के शोधग्रंथ छत्तीसगढ़ी लोकगीतों की परंपरा और भोजली एक अध्ययन का लोकार्पण कर इस दिवस पर इस ग्रंथ को महत्वपूर्ण प्रतियादित करते हुए लेखिका को बधाई दी। डाॅ. राजेश मानस, डाॅ. दिनेश्वर जाधव, डाॅ. इन्दु तिवारी ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी काव्य पाठ किया। प्राचार्य डाॅ. रंजना चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ी जन-जन की भाषा है हमें निहित मूल्यों का आत्मसात करते हुए अपने राज्य को शसक्त एवं समर्थ बनाना होगा 28 नवम्बर 2007 को विधानसभा में छत्तीसगढ़ी को राज भाषा का दर्जा देने हेतु विधेयक पारित हुआ था यही कारण है हम छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाते है। इस अवसर पर उन्होंने छत्तीसगढ़ी के कई कहावतों व गानों का उल्लेख करते हुए इसकी समृद्धि को निरूपित किया।

इस अवसर पर विविध सांस्कृति गीत एवं कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर डाॅ. आशा तिवारी की कृति "छत्तीसगढ़ में लोकगीतों की परम्परा भोजली एक अध्ययन" पुस्तक का विमोचन डॉ पाठक ने किया । समारोह की शुरूआत छत्तीसगढ़ महतारी के तैलचित्र पर दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण से समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित थीं जिनमें तात्कालिक भाषण में प्रथम स्थान रामध्वज चन्द्रकार, द्वितीय स्थान रितेश, निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान रामनंद चन्द्राकर, द्वितीय भानुप्रताप, तृतीय प्रतिक्षा राजपूत, अल्पना प्रतियोगिता में प्रथम स्थान आँचल पटेल, द्वितीय श्वेता, तृतीय खुशी कश्यप रही। आज इस छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस कार्यक्रम में सभी ने छत्तीसगढ़ी भाषा का ही प्रयोग किया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन डाॅ. प्रताप पाण्डेय एवं आभार प्रर्दशन संजय दुबे ने किया। संचालन डाॅ. गीता तिवारी ने किया।

इस अवसर पर सतीश शर्मा, पार्थ शर्मा, सचिव उमेश जाधव, सुनीता द्विवेदी, विजय वैष्णव, डाॅ. क्षमा त्रिपाठी, डाॅ. नेहा बेहार, डाॅ. प्रीति मिश्रा, पूजा यादव, संगीता बंजारे, सुष्मिता मिश्रा, अर्चना तिवारी, रसिका लोणकर, शोभना कोसले, सारिका श्रीवास्तव, डाॅ. अनिता ब़घेल, सुमित दुबे, नाजनीन खान, डाॅ. कृष्ण कुमार वर्मा, अंकित दुबे, मुकेश देवांगन, काजल गुप्ता, निधि गुप्ता, साक्षी श्रीवास, वीणा राठौण, चैतन्या जाधव, विनिता सराफ, आकांक्षा शर्मा, खूशबू केशरवानी, झरना पटेल, टीकाराम पटेल, राकेश शर्मा, नितिश शर्मा, महेश जाँगड़े, धरमपाल पोर्ते, सत्येन्द्र, हितेश, भानुप्रताप सिंह, प्रियंका साहू,  आदि उपस्थित थे।

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