मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की दी सौगात

भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की सौगात दी है। देश में दूध, दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग, उनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री उद्यमिता विकास कार्यक्रम की स्थापना होनी है। डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत 25 दुधारू पशुओं की इकाईयां स्थापित की जाएंगी। एक इकाई में सारे गौवंश या सारे भैंसवंश होंगे। एक इकाई की सारी गाय-भैंस एक ही प्रजाति की होंगी। सरकार ने एक इकाई की अधिकतम सीमा राशि 42 लाख रुपये निर्धारित की है। इस योजना में भाग लेने वालों के लिए मध्यप्रदेश का निवासी होना जरूरी है। योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिए होगी।
इसमें पशुपालक की उम्र 21 साल से ऊपर होना जरूरी है। उन्हें अनुभव के लिए सरकारी या सरकार नामित संस्था से डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण भी लेना होगा। इस प्रशिक्षण के लिए सरकार अलग से निर्देश जारी करेगी। इस योजना के हितग्राहियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। हितग्राही के पास हर ईकाई के लिए कम के सम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होनी जरूरी है। इस भूमि में परिवार की सामूहिक जमीन का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन, इसके लिए अन्य सदस्यों की सहमति आवश्यक होगी।
इनको मिलेगी प्राथमिकता
इस योजना में वर्तमान में दुग्ध संघों में पहले से ही दूध सप्लाई कर रहे पशुपालकों को प्राथमिकता दी जाएगी। दुग्ध संघ प्रोड्युसर कंपनी के प्रचलित मिल्क रूट या नए मिल्क रूट पर आने वाले हितग्राहियों को प्रथामिकता देंगे। एक हितग्राही को एक या एक से अधिक (अधिकतम आठ इकाईयों, 200 दुधारू पशु) लेने की पात्रता होगी। एक से अधिक इकाईयां लेने की स्थिति में उन्नत गाय/संकर गाय या भैंस की ईकाई अपनी सुविधा अनुसार चयन कर सकेगा। यानी, अगर हितग्राही तीन ईकाईयां लेता है तो वह अपनी इच्छा अनुसार एक भैस की ईकाई, एक संकर गाय की इकाई तथा एक उन्नत देशी गौवंश की ईकाई भी ले सकेगा। अगर हितग्राही द्वारा एक बार योजना का लाभ लेकर समस्त ऋण चुका दिया जाता है तो वह अगली बार योजना का लाभ लेने के लिए पात्र होगा। यह सुविधा अधिकतम आठ ईकाईयों तक दी जा सकेगी। एक ऋण व दूसरे ऋण के बीच में कम से कम 2 वर्ष का अंतर जरूरी है।
हितग्राहियों को मिलेगी सब्सिडी
इस योजना से लाभान्वित होने वाले लाभार्थी को डेयरी इकाई को सतत रूप से अधिकतम 7 वर्षों तक या ऋण की समाप्ति तक संचालित करना होगा। लाभार्थियों का चयन "पहले आओ, पहले पाओ" के आधार पर ऑनलाईन पोर्टल के माध्यम से होगा। दूसरा ऋण केवल पिछले ऋण चक्र के संतोषजनक पुनर्भुगतान पर ही दिया जाएगा। ऋण चार चरणों में वितरित किया जाएगा।
पूंजी सब्सिडी और ब्याज अनुदान, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हितग्राहियों के लिए परियोजना लागत का 33 प्रतिशत तथा अन्य समस्त वर्गों के हितग्राहियों के लिए परियोजना लागत का 25 प्रतिशत सब्सिडी होगी। सब्सिडी वितरण की पहली तारीख से 3 वर्ष की लॉक इन अवधि के अंतर्गत एकमुश्त प्रदाय होगी। इस पर हितग्राही को कोई ब्याज नहीं देना होगा। हितग्राही अपने ऋण का भुगतान निर्धारित ऋण अवधि से पूर्व कभी भी कर सकता है।