दिल्ली का खौफनाक वाटर प्लांट: एक साल में 35 लाशें मिलीं, चार साल में सबसे डरावना आंकड़ा

नई दिल्ली

देश की राधानी दिल्ली में एक ऐसा वाटर प्लांट है जो लाशें उगलता है। पढ़ने में आपको अजीब लगे लेकिन यह सच है। इस साल कुल 35 शव इस वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकाले जा चुके हैं। हाल ही में एक 18 साल के युवक की हत्या कर शव फेंके जाने के मामले में दो किशोरों की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद, दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को चौंकाने वाले आंकड़े साझा किए। हैदरपुर जल शोधन संयंत्र (WTP) में शवों की बरामदगीकई सवाल खड़े कर रही है।

चार सालों में सबसे अधिक संख्या
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इस साल अब तक इस प्लांट से कुल 35 शव बरामद किए जा चुके हैं। यह पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक संख्या है। पुलिस ने बताया कि हर महीने औसतन दो से तीन शव यहां से मिलते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि शव अक्सर मुनक नहर के जरिए हैदरपुर पहुंचते हैं। यह नहर हरियाणा से दिल्ली में कच्चा पानी लाती है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पहुंचने से पहले इस नहर के ज्यादातर हिस्सों में कोई जाली नहीं लगी है। इस कारण हरियाणा और दिल्ली के कई हिस्सों से बहकर आने वाले शव अक्सर हैदरपुर प्लांट में आकर फिल्टर सिस्टम में फंस जाते हैं।

शवों की पहचान और सुरक्षा के उपाय
मुनक नहर 102 किलोमीटर लंबी एक जलवाहिनी है। यह हरियाणा के करनाल से यमुना का पानी लेकर चलती है, खुबरू और मंडोरा बैराज से होते हुए दक्षिण की ओर बढ़ती है और अंत में हैदरपुर प्लांट (WTP) पर जाकर खत्म होती है। : पुलिस ने बताया कि हरियाणा से शवों को बहकर हैदरपुर पहुंचने में कई दिन लग जाते हैं। इस कारण लगभग सभी शव इतनी बुरी तरह सड़ जाते हैं कि उनकी पहचान करना लगभग नामुमकिन हो जाता है। इसी वजह से ज्यादातर शव लावारिस ही रह जाते हैं। हमारे सहयोगी हिन्दुस्तान टाइम्स (HT) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मिले 35 शवों में से 20 की पहचान हो पाई है, जबकि 15 की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। पुलिस ने कहा कि इन मौतों के पीछे प्राकृतिक कारण, डूबना, आत्महत्या और हत्या जैसे अलग-अलग मामले शामिल हैं।

सुरक्षा के लिए नए कदम
पुलिस ने रविवार को बताया कि उन्होंने हैदरपुर प्लांट के अधिकारियों से निगरानी बढ़ाने और अतिरिक्त गार्ड तैनात करने को कहा है। पुलिस का कहना है कि उनका काफी समय और कर्मचारी नियमित रूप से शवों को बाहर निकालने, उनकी पहचान करने और मौत के कारणों की जांच करने में ही लगे रहते हैं।

हाल के कुछ मामले
दोस्ती में हत्या: सबसे हालिया मामला पिछले बुधवार को सामने आया, जब दो युवकों को अपने ही एक किशोर दोस्त की हत्या के आरोप में पकड़ा गया। हत्या का कारण यह था कि वह दोस्त आरोपियों में से एक की चचेरी बहन से बात करता था। 22 नवंबर को पुलिस को हैदरपुर प्लांट के पास मुनक नहर में एक लाश तैरती हुई मिली। जब शव को बाहर निकाला गया, तो मृतक के हाथ-पैर जूतों के फीतों से बंधे थे, गले में रूमाल लिपटा हुआ था और सिर पर किसी नुकीले हथियार के तीन गहरे घाव थे। पुलिस ने इस मामले में 23 वर्षीय आशीष और 23 वर्षीय विशाल को इस सप्ताह गिरफ्तार कर लिया है।

दिसंबर के पहले हफ्ते में पुलिस को एक और शव मिला था। जांच में पता चला कि मृतक एक बेघर व्यक्ति था जिसकी मौत किसी बीमारी के कारण हुई थी। हालांकि, पुलिस अभी भी इस बात को लेकर अनिश्चित है कि वह मुनक नहर तक कैसे पहुंचा। पुलिस की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, साल 2022 से 2024 के बीच जल शोधन संयंत्र (WTP) के पास कम से कम 79 मानव शव मिले हैं। इलाके के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि के.एन. काटजू मार्ग पुलिस स्टेशन के कर्मियों के लिए तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं:
➤यह पता लगाना कि किन परिस्थितियों में शव प्लांट तक पहुंचे।
➤शवों की पहचान करना।
➤लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करना।

रोहिणी के पुलिस उपायुक्त (DCP) राजीव रंजन ने बताया कि शवों को समय पर बाहर निकालने, उनकी पहचान करने और संबंधित मामले दर्ज करने के लिए विशेष स्टाफ तैनात किया गया है। उन्होंने पुष्टि की, "हमारे पास अब तक 35 शवों का डेटा है।" पुलिस ने हरियाणा के अधिकारियों को पत्र लिखकर नहर में जालियां (nets) या फिल्ट्रेशन यूनिट लगाने का अनुरोध किया है ताकि वहां से बहकर आने वाले शव हैदरपुर तक न पहुँचें। वर्तमान में, हैदरपुर प्लांट में तीन परतों वाली जालियां (filtration nets) लगी हैं ताकि कच्चे पानी के मशीनों तक पहुँचने से पहले ही इन सभी चीजों को बाहर निकाला जा सके।

 

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