दपूमरे बिलासपुर मुख्यालय में बेनीपुरी के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा
बिलासपुर
प्रख्यात साहित्यकार श्री राम वृक्ष बेनीपुरी की जयंती दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के राजभाषा विभाग में मनाई गया। इस अवसर पर रेल सुरक्षा बल के डीआईजी भवानीशंकर नाथ, मुख्य जन संपर्क अधिकारी साकेत रंजन, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी विक्रम सिंह सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
डीआईजी भवानी शंकरनाथ ने बेनीपुरी जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बेनीपुरी का असीम योगदान है। इन्होंने राष्ट्रवाद का लोगों में खूब संदेश दिया था। इतना ही नहीं इन्हें पत्र-पत्रि काओं में देशभक्ति की ज्वाला भड़काने के आरोप में इन्हें अनेक बार जेल जाना पड़ा। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन ने अपने वक्तव्य में बेनीपुरी जी को एक जुझारू देश भक्त बताया। उन्होंने कहा कि देश भक्त और साहित्यकार दोनों ही के रूप में इनका विशिष्ट स्थान है। रामधारी सिंह दिनकर जी ने इनके विषय में लिखा है – बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी जो कलम से निकल कर साहित्य बन जाती है वरन वे उस ज्वाला के भी धनी थे जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ मूल्यों पर प्रहार करती है। बेनीपुरी के अंदर बेचैन कवि, चिंतक, क्रान्तिकारी और निडर योद्धा सभी एक साथ समाय था।
वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी ने बेनीपुरी जी के कृतित्व की विस्तार से चर्चा किया द्य उन्होंने बताया कि बेनीपुरी जी ने उपन्यास, नाटक, कहानी, स्मरण, निबंध और रेखा चित्र आदि सभी गद्य विधाओं में अपनी कलम उठाई है। पतितो के देश में, माटी की मूरत,लाल तारा, चिता के फूल ,अंब पाली ,गेहूं और गुलाब, मशाल, वंदे वाणी विनाय को, जंजीरें और दीवारें ,पैरों में पंख बांधकर उनकी प्रसिद्ध रचना है। बेनीपुरी जी ने बालक, तरुण भारती,युवक, किसान मित्र ,कैदी, योगी, जनता, हिमालय आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। हमें उनके जीवन एवम रचनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपने कार्य को उसी मनोयोग से करने की आवश्यकता है।