लोकसभा के साथ हो सकते हैं जम्मू-कश्मीर के राज्य विधानसभा के चुनाव
श्रीनगर
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के पक्ष में फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर वैध है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। राष्ट्रपति के पास इस प्रावधान को वापस लेने का अधिकार था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने और 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। राज्य में परिसीमन का काम पहले ही पूरा हो चुका है। अप्रैल-मई में जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीट के लिए चुनाव हो सकते हैं। पीओके की 24 सीटें अभी भी रिजर्व रहेगी।
हमने कहा था कि जो सुप्रीम कोर्ट कहेगा वह आखिरी फैसला होगा। मैं बुनियादी तौर पर कहता हूं कि इसे खत्म करना ग़लत था। अनुच्छेद 370 हटाते वक्त जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों से पूछा नहीं गया। हम अदालत के खिलाफ नहीं जा सकते लेकिन इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोगों को अफसोस है।
जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन किया गया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया था। आयोग ने 5 मई 2022 को अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी। संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि जम्मू कश्मीर में अब 114 विधानसभा सीटें होगी। 24 सीटें पीओके के लिए रिजर्व है। यानी जम्मू-कश्मीर में 90 सीटों के वोट डाले जाएंगे। नए परिसीमन के बाद जम्मू में छह और कश्मीर में एक सीट बढ़ गई है। अब जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें है। कुल सीटों में से 9 एसटी और दो कश्मीरी विस्थापितों के लिए रिजर्व रखी गई है। पांच सदस्य नॉमिनेट किए जाएंगे।
विपक्ष का आरोप, बीजेपी के पक्ष में नया परिसीमन
2022 से पहले 1995 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन किया गया था। विपक्षी दलों का आरोप है कि नए परिसीमन के बाद बीजेपी को चुनाव में ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि कई अल्पसंख्यक बाहुल्य सीटों का अस्तित्व ही खत्म हो गया है। कुलगाम, नूराबाद, अमीरा कदल, बटमालू, जदीबल, पदडर, डोडा पूर्व, सुंदरबनी-कालाकोट जैसी सीटों को काट दिया गया है। जम्मू में छह सीट बढ़ने का फायदा भी बीजेपी को मिल सकता है। हालांकि बीजेपी इन आरोपों को खारिज करती रही है। सुप्रीम कोर्ट के अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश करा सकती है। अगर चुनाव आयोग इस प्रस्ताव पर राजी होता है तो लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा। बीजेपी दशकों से अनुच्छेद 370 को ह हटाने का वादा करती रही है, जिसे अब पूरा किया जा चुका है।