ग्वालियर के हॉकी खिलाड़ी शिवेंद्र को मिल रहा द्रोणाचार्य सम्मान

ग्वालियर

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी और कोच शिवेंद्र सिंह को द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नॉमिनेट किए जाने पर उनके परिवार में खुशी की लहर है। शिवेंद्र की मां, भाई, पिता और घर के अन्य सदस्य उनकी इस उपलब्धि पर गौरान्वित हैं और पूरे परिवार के चेहरे पर खुशी देखने को मिली। इतना ही नहीं परिवार द्वारा जश्न मनाने की तैयारी भी की जा रही है।

शिवेंद्र सिंह ने खेल की दुनिया में खूब नाम कमाया है। शिवेंद्र भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं। उन्होंने भारतीय टीम में सेंटर फॉरवर्ड पोजिशन में शानदार हॉकी खेली है। 2007 में भारत ने एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। इस टीम में शिवेंद्र ने शानदार प्रदर्शन किया था। 2010 में शिवेंद्र की अगुवाई में भारतीय टीम ने मलेशिया में सुल्तान अजलन शाह कप में गोल्ड मेडल जीता था।

शिवेंद्र 2007 और 2009 में चैंपियंस ट्रॉफी में भी भारतीय टीम की तरफ से खेल चुके हैं। शिवेंद्र अब कोच के तौर पर भारतीय हॉकी टीम को सेवाएं दे रहे हैं। शिवेंद्र को द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नॉमिनेट किए जाने पर ग्वालियर स्थित उनके परिवार में खुशी का माहौल है। उनकी मां का कहना है कि बेटे ने उनका नाम रोशन कर दिया है तो वहीं भाई का कहना है कि शिवेंद्र की उपलब्धि पर पूरा परिवार गौरवान्वित हैं।

9 साल की उम्र से लगाव
 हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की नगरी ग्वालियर में शिवेंद्र सिंह का जन्म हुआ. परिवार में हॉकी खिलाड़ी शिवेंद्र सिंह के दो बड़े भाई हैं जो माता-पिता के साथ रहते हैं. शिवेंद्र की मां राधा देवी बताती हैं कि जब वह 9 साल का था तब पहली बार उसने हॉकी की स्टिक पकड़ी थी. साल 2006 में जब पहली बार भारतीय टीम में चयन हुआ तब सोचा शायद ओलंपिक खेलने का सपना पूरा हो सकता है. उसके बाद अपने सपनों को पूरा करते हुए अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्लेयर शिवेंद्र सिंह दो बार ओलंपिक खेल चुके हैं और कई अंतरराष्ट्रीय खिताब और मेडल अपने नाम कर चुके हैं.

शिवेन्द्र का जुनून ही है यह
 शिवेंद्र का हॉकी के प्रति यह जुनून ही है कि वे इस मुकाम तक पहुंचे. मध्य प्रदेश सरकार ने हॉकी में द्रोणाचार्य अवार्ड देने की घोषणा की है. मां राधा देवी के मुताबिक वह शुरू से ही हॉकी को लेकर जुनूनी था. खेल के कारण अपने दोनों भाइयों की शादी में भी शामिल नहीं हो सका था. शिवेंद्र कद काटी से दुबले पतले जरूर थे जिसको लेकर उनकी मां हमेशा उनको टोका करती थी हॉकी मत खेलो, लेकिन वह उनके जुनून के आगे पीछे रह गईं. आज शिवेंद्र हॉकी में लगातार कई अवार्ड जीत रहे हैं. एमपी के प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलने की घोषणा से परिवार में खुशी की लहर है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button