केसीआर का उल्टा पड़ा दांव नेशनल पार्टी बनने का सपना !

नई दिल्ली

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के साथ तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजे भी आज आ रहे हैं. तेलंगाना में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत हासिल करती दिख रही है. तेलंगाना का गठन 2013 में हुआ था. इसके बाद ये तीसरा चुनाव है. इस चुनाव में केसीआर बतौर सीएम हैट्रिक लगाने से चूकते नजर आ रहे हैं. दो बार के सीएम केसीआर के लिए ये बड़ा झटका है. केसीआर की हार के पीछे की मुख्य वजह राष्ट्रीय राजनीति के प्रति उनका झुकाव माना जा रहा है.

केसीआर ने 2018 में विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे की बात की थी. वे 2024 चुनाव से पहले भी अपने इसी फॉर्मूले के तहत विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल नहीं हुए. अक्टूबर 2022 में केसीआर ने अपनी पार्टी टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) को राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए उसका नाम बदल कर बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) कर दिया था. 

इतना ही नहीं जब तेलंगाना चुनाव में एक साल से कम समय रह गया था और कांग्रेस-बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्य में केसीआर के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी थी, तब केसीआर तेलंगाना के बाहर महाराष्ट्र में 700-700 कारों के काफिले के साथ पार्टी का प्रसार करने में जुटे थे. इन रैलियों में उनके साथ पूरी तेलंगाना कैबिनेट भी जाती थी. इतना ही नहीं केसीआर ने अलग अलग राज्यों में जाकर विपक्षी नेताओं से भी मुलाकात की थी. वे जून में पटना में जाकर नीतीश कुमार से भी मिले थे.  

जानकार मानते हैं कि केसीआर खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर स्थापित करना चाहते थे. इतना ही नहीं वे तेलंगाना में जीत से आश्वस्त थे, उनका इरादा तेलंगाना की राजनीति में अपने बेटे के टी रामा राव को स्थापित करने का था. रामा राव उनकी सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन इस विधानसभा चुनाव में केसीआर का ये दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है. जहां एक ओर वे अपने घर तेलंगाना में सत्ता गंवा बैठे, दूसरी ओर उनकी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को अपने साथ लाने की कोशिश भी सफल होती नहीं दिख रही है. 

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