भाग्यशाली लोग कर पाते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का श्रवण : पंडित खिलेंद्र

रायपुर

खमतराई के दोना पत्तल फेक्टरी के पास बम्हदाई पारा में चल रहे श्री शिव महापुराण कथा व महाशिवरात्रि रुद्राभिषेक का भव्य शोभायात्रा के साथ संपन्न हुआ। शोभायात्रा में महासेवा संघ के स्कूली बच्चों के साथ खमतराईवासी शामिल हुए। शोभायात्रा शाम को निकली लेकिन इससे पहले हवन-पूजन के बाद श्री शिव महापुराण में स्थापित भगवान शिव-पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति को खमतराई तालाब में विसर्जित किया गया और विशाल भंडारे का आयोजन हुआ। कथा श्रवण करने के लिए अंतिम दिन भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा भी पहुंची थी।

श्री शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन पंडित खिलेंद्र दुबे ने श्रद्धालुओं से कहा कि भाग्यशाली लोग ही कर पाते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का श्रवण। संसार में आने वाले हर जीव को अपने पुण्य एवं पाप का फल मिलता है। इस संसार में धरती पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का अपना चरित्र होता है और मनुष्य की पहचान चित्र से नहीं चरित्र से होता है। मनुष्य अपने जीवन को चरित्रहीन से जिए, बड़े हुए तो माता-पिता के लिए जिए, शादी होने के बाद पत्नी और सास-ससुर के लिए जिएंगे तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। चंचुला स्त्री का वर्णन करते हुए पंडित दुबे ने कहा कि गरीब रहोगे तो कुछ नही जाएगा, चलते-चलते गिर जाओगे तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, कहीं अपने ही नजर में गिर जाओगे तो फिर दोबारा उठ नहीं पाओगे इसलिए मनुष्य दूसरों की नजर में जरुर गिरे लेकिन अपनी नजर में कभी न गिरे, वरना नरक में जाना पड़ता है। आज के बच्चे जिस स्कूल में पढ़ाई करने चाहते हैं वहां के शिक्षकगणों के साथ वे दुर्व्यवहार करते हैं। गलती करने के बाद भी वे गलती मानने से इंकार कर देते है। उन माता-पिता से पंडित खिलेंद्र दुबे ने कहा कि अपने बच्चों को बढ़ाने के लिए आप कितना भी फीस भर लो लेकिन वहां के शिक्षकगण जो दान कर रहे है आपके बच्चों के ऊपर वह छोटा-मोटा दान नहीं है। गुरु कई प्रकार के होते है, एक होता है दीक्षा गुरु, एक होता है शिक्षा और वह आपकी शिक्षा गुरु है।

पंडित दुबे ने कहा कि धरती से पानी निकलना बंद हो जाए, आसमान से पानी गिरना बंद हो जाए तो फसल उगना अपने आप ही बंद हो जाती है। पृथ्वी में पूजा पाठ कम हुआ तो देवता निर्बल हो गए, जितना ज्यादा पूजा – पाठ करोगे इंद्र, पवन, भगवान विष्णु, ब्रह्मा को इसे बल मिलता है। कभी शंका नहीं करना चाहिए, भगवान आपके द्वारा लगाए हुए भोग को खाते हैं या नहीं यहनहीं सोचना चाहिए, लेकिन इतना जरुर कहूंगा कि भगवान आपके द्वारा लगाए हर भोग को जरुर खाते हैं भले ही आपकी थाली में रखा भोग कम नहीं हुआ हो। भगवान शंकर को अगर खुश करना है तो देशी गाय के दूध से निकले छाछ को भगवान शिव में अर्पण करो। मंदिर में जाकर एक लोटा जल चढ़ाना ही पूजा नहीं है अगर वहां पर सच्ची सेवा से किसी की मदद कर दोगे वह भी पूजा है। अपने अंदर क्रोध नहीं लेना चाहिए, कथा सुनने से ही सब व्यथा मिट जाती है।

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