चीन के इशारों पर नेपाल! गुप्त कैमरों से तिब्बतियों पर रखी जा रही नजर

चीन
चीन ने अपनी निगरानी और दमन नीति को सीमाओं से बाहर फैलाते हुए नेपाल में तिब्बतियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए अमेरिकी तकनीक से लैस सर्विलांस कैमरे स्थापित किए हैं। नेपाल से सामने आ रही रिपोर्टों के मुताबिक, काठमांडू और सीमा क्षेत्रों में गुप्त कैमरे बड़ी संख्या में लगाए गए हैं, जिनका उद्देश्य सुरक्षा नहीं बल्कि तिब्बती समुदाय की निगरानी बताया जा रहा है। तिब्बती संसद-इन-एग्ज़ाइल की उपाध्यक्ष डोल्मा त्सेरिंग ने इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि ये कैमरे तिब्बतियों को मानवाधिकार प्रदर्शनों में हिस्सा लेने, चीन में हो रहे अत्याचारों पर बोलने और स्वतंत्र आवाज़ उठाने से डराने का जरिया बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि ल्हासा में घरों की खिड़कियों से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरे हैं, जो चीन की दमनकारी नीति को दर्शाता है। डोल्मा त्सेरिंग ने आरोप लगाया कि नेपाल सरकार चीन के दबाव में आकर तिब्बतियों की आवाजाही सीमित कर रही है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस “सीमापार आक्रामकता” पर संज्ञान लेने और कार्रवाई की मांग की। उनके मुताबिक, पहले नेपाल तिब्बती शरणार्थियों के लिए सुरक्षित मार्ग था, लेकिन अब वहां से भारत और अन्य देशों तक पहुंच लगभग ठप हो गई है।
 
तिब्बती संसद सदस्य ल्हा ग्यारी नामग्याल डोलकर ने भी चिंता जताते हुए कहा कि चीन ने निगरानी तकनीक को वैश्विक स्तर पर तिब्बतियों, उइगरों, मंगोलियनों और हांगकांग वासियों को दबाने के हथियार में बदल दिया है। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों से भी सवाल किया कि उनकी तकनीक का इस्तेमाल मानवाधिकार हनन के लिए हो रहा है। तिब्बती नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ध्यान नहीं दिया, तो चीन की यह नीति क्षेत्रीय संप्रभुता और भारत सहित पड़ोसी देशों की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती बन सकती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button