सीएम हेल्पलाइन की दोषपूर्ण विसंगतियों में सुधार के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश धाडीवाल ने मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी

धार
आम आदमी को न्याय मिले सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को गति मिले इस उद्देश्य से प्रारंभ की गई सीएम हेल्पलाइन के दुरुपयोग के संदर्भ में वरिष्ठ भाजपा नेता धार जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष श्री रमेश धाडीवाल ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस संदर्भ में सुझाव देते हुए मांग की है।

सीएम हेल्पलाइन मुख्यतः प्रदेश में उपेक्षित और वंचित नागरिकों को सुविधा एवं न्याय  दिलाने के लिए प्रारंभ की गई थी,  और कुछ हद तक इसमें सफलता भी मिली है ,पर इसका एक दुखद पहलू भी सामने आ रहा है  की सीएम हेल्पलाइन का दुरुपयोग व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए ईष्र्या वश या ब्लैक मेलिंग के लिए भी अधिकांश लोगों द्वारा किया जा रहा ,है ,सीएम हेल्पलाइन  एक ऐसा संस्थान है जिसमें किसी शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने के बाद उसका निराकरण आवश्यक ही है , और परिस्थिति यह बनती है की निराकरण शिकायतकर्ता की इच्छा अनुसार ही करना पड़ता है और कई जगह यह देखने में आया है कि निराकरण होने के बाद उसी शिकायत को दोबारा  विषय बदल कर या कहीं नाम बदलकर सीएम हेल्पलाइन में कर दी जाती है, यानी सीएम हेल्पलाइन को शिकायती  तत्वों ने खिलौना बना लिया है, और जब तक शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं होता तो अधिकारी पर कार्यवाही की तलवार लटकती रहती है,  क्योंकि संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होने की संभावना रहती है , भले ही शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत तथ्य हीन  हो दुर्भावना पूर्वक हो , या आर्थिक लाभ लेने के लिए की गई हो,फिर भी सीएम हेल्पलाइन के प्रारूप के अनुसार शिकायतकर्ता को ही महत्व दिया जाता है जिसके कारण जिसकी शिकायत की गई है वह तथा अधिकारी परेशान होते हैं  इस हेल्पलाइन में जब तक निराकरण नहीं होता, निराकरण का संदेश नहीं जाता तो संबंधित अधिकारी पर गाज गिर जाती है जो कि न्याय पूर्ण नहीं है, इसी कार्रवाई के डर से शिकायतकर्ता की इर्ष्या, दुर्भावना, व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए या ब्लैक मेलिंग के लिए की गई शिकायत को अधिकारी महत्व दे देते हैं और जिसके खिलाफ शिकायत की गई है उसकी तथ्यात्मक बातों को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है, श्री धाडीवाल ने मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया है कि इसमें केवल मेरा इतना भर आग्रह है कि इसकी समीक्षा की जाए, इसे पारदर्शी बनाया जाए, शिकायत आने के बाद शिकायतकर्ता की शिकायत तथ्यात्मक है या नहीं शिकायतकर्ता का चाल- चरित्र  -व्यवहार- प्रतिष्ठा कैसी है, शिकायतकर्ता आदतन शिकायती या मनोरोगी तो नहीं है, शिकायतकर्ता द्वारा की गई शिकायत से क्या उसका कोई हित या अहित जुड़ा हुआ है, इसका अध्ययन या जांच कर- कर इसे आगे बढ़ाया जाए , मेरे अनुभव में आया है मेरी जानकारी में आया है कि कई निर्दोष लोग इसके शिकार हो रहे हैं,आशा है आप इस पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देंगें।

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