बॉर्डरलाइन डायबिटीज के लक्षण: जानिए कैसे पहचानें और संरक्षित रहें

बॉर्डरलाइन डायबिटीज, जिसे प्रीडायबिटीज (Prediabetes) भी कहा जाता है, एक ऐसा मेडिकल कंडीशन है जो किसी इंसान को टाइप 2 डायबिटीज होने से पहले विकसित होती है. इसे इम्पेयर्ड फास्टिंक ग्लूकोज (Impaired Fasting Glucose) या ग्लूकोज इनटॉलरेंस (Glucose Intolerance) के रूप में भी जाना जाता है. इसका मूल रूप से मतलब है कि आपके ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से ज्यादा है, लेकिन वो इतना अधिक नहीं हैं कि उन्हें मधुमेह का संकेत माना जा सके.

प्रीडायबिटीज फेज में क्या होता है?

प्रीडायबिटीज फेज (Prediabetes Phase) के दौरान, आपके पैंक्रियाज (Pancreas) अभी भी इनजेस्टेड कार्बोहाइड्रेट के रिस्पॉन्स में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करते हैं हालांकि, ब्लड फ्लो से शुगर को हटाने में इंसुलिन कम प्रभावी होता है, इसलिए आपका ग्लूकोज लेवल हाई रहता है. इस स्थिति को इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance) कहा जाता है.

प्रीडायबिटीज और डायबिटीज में कितना फर्क है?

डॉ. इमरान अहमद ने बताया कि प्रीडायबिटीज होने का मतलब ये नहीं है कि आपको निश्चित रूप से डायबिटीज हो ही जाएगी. हालांकि, यह एक चेतावनी है कि आगे क्या हो सकता है. प्रीडायबिटीज वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) का खतरा सामान्य ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) वाले लोगों की तुलना में 5 से 15 गुना ज्यादा होता है. अगर अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में हेल्दी आदतें नहीं अपनाते हैं तो मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती है.

शुरुआती खतरे को पहचानना मुश्किल

अर्ली स्टेज में इंसुलिन रेसिस्टेंस वाला कोई शख्स टाइप 2 डायबिटीज विकसित कर सकता है. अगर ये लंबे समय तक जारी रहता है. प्रीडायबिटीज वाले केवल 10 फीसदी लोगों को ही पता होता है कि उन्हें ये कंडीशन है क्योंकि कई में कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं.
 

बॉर्डरलाइन डायबिटीज के खतरे

अगर आपको नीचे लिखे हुए कोई भी रिस्क फैक्टर नजर आते हैं तो तुरंत अपने ब्लड शुगर की जांच कराएं, कहीं ऐसा न हो कि आपको आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज हो जाए

1. वजन बढ़ना या शरीर मोटा हो जाना
2. बॉडी का इनएक्टिव हो जाना
3. हाई बल्ड प्रेशर
4. हाई कोलेस्ट्रॉल
5. टाइप 2 डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री
6. ऐसे बच्चे को जन्म देना जिसका वजन 9 पाउंड (4.08 किलो) से ज्यादा होना
 
बॉर्डरलाइन डायबिटीज में हो सकता है ऐसा अंजाम

1. आंखों की रोशनी कम होना
2. नर्व डैमेज
3. किडनी डैमेज
4. हार्ट डिजीज
 

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