दमोह में मिशन अस्पताल की कैथ लैब को जिला प्रशासन ने किया सील, आरोपी डॉक्टर पर लगा था 5 साल बैन

दमोह
दमोह जिले के मिशन अस्पताल में पिछले दिनों सात मौतों के मामले ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को सक्रिय कर दिया है। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की टीम ने अस्पताल की कैथ लैब को सील कर दिया है। इस मामले में आरोपी डॉक्टर नरेंद्र यादव को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है, और पुलिस द्वारा पूछताछ की जा रही है।
जांच टीम की कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग की एक टीम, जिसमें डॉ. राजेश नामदेव, डॉ. विक्रांत चौहान, प्रशांत सोनी, प्रहलाद पटेल और नायब तहसीलदार रघुनंदन चतुर्वेदी शामिल थे, मिशन अस्पताल पहुंची। टीम ने सबसे पहले ब्लड बैंक और डायलिसिस यूनिट का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने कैथ लैब की जांच की और कैथ लैब को सील कर दिया। यह कार्रवाई डॉक्टर विक्रांत चौहान, डॉ. राजेश नामदेव और नायब तहसीलदार रघुनंदन चतुर्वेदी के हस्ताक्षर से की गई।
ब्लड बैंक की स्थिति
टीम के सदस्यों ने ब्लड बैंक का भी निरीक्षण किया। डॉक्टर प्रहलाद पटेल और डॉक्टर प्रशांत सोनी ने बताया कि ब्लड बैंक में सब कुछ ठीक था, लेकिन एक चूक सामने आई। ब्लड बैंक प्रभारी, रिटायर्ड डॉक्टर पीसी स्वर्णकार मौके पर नहीं मिले। डॉक्टर पटेल ने इसे लापरवाही माना और कहा कि उन्हें जांच के समय अस्पताल में मौजूद रहना चाहिए था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भेजेंगे, और तब तक यह तय नहीं होगा कि आगे क्या कार्रवाई की जाएगी।
कैथ लैब सील होने से समस्या
कैथ लैब को सील किए जाने के बाद मिशन अस्पताल की प्रबंधक पुष्पा खरे ने चिंता जताई। उनका कहना था कि लैब को सील करने से टेम्परेचर मेंटेन नहीं होगा, जिससे लगभग 8 करोड़ रुपये की मशीन खराब हो सकती है। यह वही लैब है, जहां आरोपी डॉक्टर ने मरीजों की हार्ट सर्जरी की थी।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
आरोपी डॉक्टर नरेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद यह मिशन अस्पताल पर पहली बड़ी कार्रवाई है। पुलिस ने आरोपी से पूछताछ के बाद उन स्थानों पर जांच शुरू कर दी है, जहां से आरोपी ने अपनी डॉक्टरी की डिग्री ली थी। यह जांच इस मामले को और अधिक स्पष्ट करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।