दक्षिण का चुनाव प्रचार अब अपने पूरे शबाब पर, उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ाना भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती

रायपुर
दक्षिण का चुनाव प्रचार अब अपने पूरे शबाब पर है। वहीं, इस दौरान दोनों ही पार्टियों के सामने एक जैसी ही चुनौती है, कि किसी भी तरह मतदान का प्रतिशत बढ़ाया जाए। राजनीतिक पंडितों के अनुसार उपचुनाव का इतिहास रहा है, कि इसमें वोट कम ही पड़ते हैं। ऐसे में दोनों ही पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने जो लक्ष्य तय किया है, उसके लिए यह बेहद जरूरी है।

दरअसल, भाजपा ने रायपुर दक्षिण विधानसभा के इस उपचुनाव में विधानसभा की लीड को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, जबकि यह तभी संभव है, जब वोट का प्रतिशत बढ़े। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस का लक्ष्य है, कि दक्षिण के इस किले को ढहाना है। इसके लिए भी एंटी इंकबेंसी के साथ मतदान का प्रतिशत बढ़ना ही है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों द्वारा तय किए गए इस लक्ष्य के लिए कुल मिलाकर मतदान का प्रतिशत बढ़ना जरूरी है।

वोट कम तो भाजपा को फायदा
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार उपचुनाव में वोट कम पड़ने का फायदा सीधे तौर पर भाजपा को ही होगा, क्योंकि वोट कम पड़ने से भाजपा की लीड जरूर कम होगी, लेकिन जीत की संभावनाएं भाजपा की ज्यादा हैं। वहीं, ज्यादा वोट पड़ने पर ही कांग्रेस की उम्मीदें जागेंगी और जीत के आसार बन सकते हैं।

उपचुनाव में सत्तापक्ष हावी
बीते वर्षों में हुए उपचुनावों में सत्तापक्ष ही हावी रहा है। फिर वो चाहे किसी भी राज्य के उपचुनाव हों। उसका सीधा फायदा सत्ता पक्ष के प्रत्याशी को ही मिलता दिखाई दे रहा है। ऐसे में इस चुनाव में बड़ा उलटफेर करने के लिए कांग्रेस को भी एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button