Tesla इलेक्ट्रिक कार ब्रांड की इंडिया एंट्री की राह कठिन होती नज़र आ रही है

नईदिल्ली
इलेक्ट्रिक वाहनों के इंपोर्ट पर सरकार ने अपना इरादा एक बार फिर से साफ कर दिया है. बीते कुछ दिनों से ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि, सरकार विदेश से आयात होने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क में छूट देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. लेकिन अब सरकार का कहना है कि, देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात के लिए शुल्क रियायतें और स्थानीय मूल्यवर्धन से छूट देने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है. इससे भारत में Tesla जैसे दिग्गज इलेक्ट्रिक कार ब्रांड की इंडिया एंट्री की राह कठिन होती नज़र आ रही है.

वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि, "सरकार ने औद्योगीकरण और घरेलू मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने और भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक बेहतर इकोसिस्टम बनाने के लिए कई नीतिगत पहल और उपाय किए हैं." उन्होनें कहा कि, "सरकार ने घरेलू उत्पादों और भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी कई कदम उठाए हैं, ताकि मेक इन इंडिया पहल को मजबूती मिले."

उन्होनें साफ तौर पर कहा कि, "वर्तमान में, स्थानीय मूल्य संवर्धन लागत से छूट प्रदान करने या भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात शुल्क पर किसी तरह की छूट प्रदान करने का कोई प्रस्ताव नहीं है" सोम प्रकाश ने कहा कि सरकार द्वारा "ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटीव योजना के तहत 25,938 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की गई थी, ताकि स्थानीय स्तर पर घरेलु मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिले." यह योजना देश में 50 गीगावाट ऑवर (GWh) के लिए गीगा स्केल एसीसी मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी.

बता दें कि, कुछ दिनों पहले ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि, भारत अमेरिकी वाहन निर्माता टेस्ला इंक के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देने के कगार पर है, जिसके तहत कंपनी अगले साल से देश में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को आयात करने और दो साल की अवधि के भीतर एक फैक्ट्री स्थापित करने की सहूलियत मिलेगी. इंडियन मार्केट में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पिछले साल देश में बेचे गए कुल पैसेंजर वाहनों में अकेले इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी तकरीबन 1.3% थी, जो कि इस साल और भी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है.

 

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