नक्सलियों पर लगाम कसने प्रदेश को नई बटालियन की जरुरत, केंद्र के पास अटका प्रस्ताव

भोपाल
 बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिले में नक्सलियों पर लगाम कसने के लिए प्रदेश पुलिस को एक और बटालियन के जरुरत हैं, लेकिन इस बटालियन बनाने के लिए उसे केंद्र सरकार की अनुमति नहीं मिल पा रही है। पुलिस मुख्यालय के अफसर लगातार इस प्रस्ताव की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के संपर्क में हैं, फिर भी छह महीने से यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास अटका हुआ है।

सूत्रों की मानी जाए तो प्रदेश पुलिस नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए एक और बटालियन नक्सल प्रभावित जिलों में बनाना चाहती है। इस बटालियन में प्रदेश पुलिस कम से कम एक हजार जवानों को रखना चाहती है। इस बटालियन के जवान विशेष रूप से ट्रैंड होकर सिर्फ नक्सलियों के मंसूबों को रोकने का काम करेंगे।

इस बटालियन को केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर बनाए यह पुलिस मुख्यालय के अफसर चाहते हैं। इसे लेकर ही प्रस्ताव केंद्र के पास गया है। बताया जाता है कि जुलाई में यह प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अब तक केंद्र ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी हैं।

पूर्व में भी बन चुकी है बटालियन

नक्सलियों पर अंकुश लगाने और उनकी धरपकड़ के लिए केंद्र की मदद से पुलिस मुख्यालय को एक बटालियन पूर्व में मिल चुकी है। जिसमें केंद्र सरकार ने भी कई सालों तक राशि दी थी। इस बटालियन का मुख्यालय बालाघाट में हैं।

इस बटालियन में भी ट्रैंड जवानों को रखा गया है। प्रदेश की 36 वीं वाहिनी नक्सलियों से लौहा लेने के लिए ही बनाई गई थी। जब यह बटालियन बनी थी तब प्रदेश में नक्सल प्रभावित दो ही जिले बालाघाट और मंडल ही थे। जबकि प्रदेश में अब एक और जिला बढ़ गया है।

इंडियन रिजर्व बटालियन पहले से है सक्रिय

प्रदेश में 36 वीं वाहिनी को इंडियन रिजर्व बटालियन का नाम दिया गया है।यह बटालियन 2017 में प्रदेश में काम कर रही है। जिसे केंद्र की मदद से यहां पर बनाया गया था। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस तरह की बटालियन केंद्र सरकार की मदद से बनाने का प्रस्ताव आने के बाद प्रदेश में उस वक्त एक ही बटालियन मांगी थी, लेकिन बाद में अब उसे इसी तरह की दूसरी बटालियन की जरुरत महसूस हो रही है। इसके चलते ही दूसरी बटालियन का प्रस्ताव भेजा गया था।

कान्हा नेशनल पार्क में रोके हैं नक्सल गतिविधियां

36 वीं वाहिनी के 110 जवान कान्हा नेशनल पार्क में नक्सलियों की गतिविधियों को रोके हुए हैं। दरअसल नक्सलियों का मूवमेंट जब नेशनल पार्क में बढ़ा और वे अमरकंटक की ओर अपना नया ठिकाना बनाने की साजिश रच रहे थे, तब कान्हा नेशनल पार्क में दो कैंप बनाए गए। जिनमें 55-55 जवानों को तैनात किया गया। इन जवानों की ट्रैनिंग ऐसी है कि ये एक जवान दस ट्रैंड नक्सलियों पर भारी पड़ता है। यानि ये 110 जवान एक साथ 1100 नक्सलियों पर भारी पड़ सकते हैं।

नए वित्तीय वर्ष से उम्मीद

पुलिस मुख्यालय के अफसरों की मानी जाए तो इस बटालियन का प्रस्ताव जल्द ही केंद्र मंजूर कर सकता है। नए वित्तीय वर्ष में इसे मंजूरी दी जा सकती है। जिसमें इस बटालियन के भवन निर्माण और अन्य संसाधनों में केंद्र आर्थिक मदद करते हुए इस बटालियन की स्थापना तक इसके आर्थिक भार का कुछ हिस्सा दे सकता है।

बाकी कुछ प्रतिशन प्रदेश सरकार इस बटालियन पर खर्च कर सकती है। इसके साथ ही इस बटालियन में जाने वाले जवानों को ट्रैनिंग भी केंद्र की मदद से दिए जाने का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय ने शामिल कर भेजा है।

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