हम वैक्सीनेटेड थे इसलिए नया वेरियंट ज्यादा घातक नहीं हो पाया : डॉ. कांग

कोरोना भारत में आया तो देश की सभी एजेंसियों ने साथ मिल कर काम किया

भोपाल
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में सोमवार को लर्निंग रिसोस सेंटर में न्यू एज टेक्नोलॉजी-शो में जैव प्रोद्यौगिकी एवं कोरोना वैक्सीन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। इस दौरान जैव प्रोद्यौगिकी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा बतौर मुख्य अतिथि, सीएमसी वेल्लोर की प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग विशेष रूप से उपस्थित रही।

देश की शीर्ष वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग ने कोविड-19 के इलाज और वैक्सीन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। पैनल डिस्कशन में उन्होंने बताया कि कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट कोई सामान्य वायरस नहीं था, चूंकि हम वैक्सीनेटेड थे, इसलिए यह ज्यादा घातक नहीं हो पाया। दूसरी ओर, दक्षिण अफ्रीकी देशों में डेल्टा वेरिएंट के फैलने की दर सबसे तेज थी, लेकिन इससे वहाँ मौतें ज्यादा नहीं हुईं।  इन देशों में ओमिक्रॉन ने भयावह स्थिति पैदा की।

वैक्सीन निर्माण में डीबीटीकी अहम भूमिका
डॉ. अलका शर्मा ने कहा कि न्यू एज टेक्नोलॉजी के दौर में जब मार्च 2020 में कोरोना भारत में आया तो देश की सभी एजेंसियों ने साथ मिल कर काम किया और हमने सबसे पहले वैक्सीन तैयार की। बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने विदेश मंत्रालय के साथ मिल कर वैक्सीन दूसरे देशों तक भी पहुँचाई। किसी भी टेक्नोलोजी का विकास एक दिन में नहीं होता, इसमें काफी मेहनत लगती है। कोरोना वैक्सीन तैयार करने में  डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की भूमिका काफी अहम है। एम्स नई दिल्ली स्थित मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मयंक सिंह ने कैंसर के इलाज के लिए न्यू एज टेक्नोलॉजी एडेप्टिवसेल थेरेपी के बारे में ज्ञानवर्धन किया। डीबीटी की ओर से संगीता कस्तूरी इस सत्र की मॉडरेटर रहीं। उन्होंने बताया कि कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट कोई सामान्य वायरस नहीं था, चूंकि हम वैक्सीनेटेड थे, इसलिए यह ज्यादा घातक नहीं हो पाया।

 

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