संसद के शीतकालीन सत्र: सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामे पर जाहिर की निराशा, मर्फी के नियम से की तुलना

नई दिल्ली

संसद के शीतकालीन सत्र का एक और दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामे पर निराशा जाहिर की और संसद में जारी हंगामे की तुलना मर्फी के नियम से की। मर्फी का नियम कहता है कि, जो कुछ भी गलत हो सकता है, वह गलत ही होगा। धनखड़ ने कहा कि एक एल्गोरिदम मौजूद है, जो सदन का संचालन नहीं होने दे रहा है।

उपराष्ट्रपति ने विपक्ष पर साधा निशाना
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच कहा कि 'ऐसा लगता है कि इस प्रतिष्ठित सदन में मर्फी के नियमों को लागू करने के लिए एक एल्गोरिथ्म मौजूद है, जो जानबूझकर संसद नहीं चलने दे रही है और इससे संसद के कामकाज में बाधा उत्पन्न हो रही है। हम अपने संविधान में बताए गए प्रावधानों के बिल्कुल विपरीत काम कर रहे हैं।' उपराष्ट्रपति की यह टिप्पणी इस संदर्भ में आई है, जिसमें विपक्ष के सांसद नियम 267 के तहत स्थगन प्रस्ताव लाकर अदाणी मामले, मणिपुर हिंसा, संभल हिंसा और अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और इसके चलते अब तक शीतकालीन सत्र में एक दिन भी सुचारू रूप से संसद का कामकाज नहीं हो पाया है।

हंगामे के दौरान राज्यसभा सभापति धनखड़ ने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने दें। हालांकि जब अपील के बाद भी विपक्षी सांसदों की नारेबाजी जारी रही तो सभापति ने सदन की कार्यवाही पूरे दिने के लिए स्थगित कर दी।

कांग्रेस का पलटवार
वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार नहीं चाहती कि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चले। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 'आज दोनों सदनों में कोई नारेबाजी या हंगामा नहीं हो रहा था और विपक्षी पार्टियां मणिपुर, अदाणी, संभल हिंसा पर चर्चा करना चाहती थीं, लेकिन मोदी सरकार नहीं चाहती कि संसद चले।'

 

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