साइंस कॉलेज के वर्ष भर चलने वाले हीरक जयंती कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ

रायपुर

शासकीय नागार्जुन विज्ञान महाविद्यालय रायपुर के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर वर्षभर चलने वाले हीरक जयंती कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. केशरी लाल वर्मा ने छत्तीसगढ़ के इस अग्रणी कॉलेज की छत्तीसगढ़ राज्य को दिए गए योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षण संस्थान की शुरूआत भी तात्कालिन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा इसी साइंस कॉलेज भवन से किया गया था। उन्होंने साइंस कॉलेज के उत्कृष्ट शिक्षकों और शोधकार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कि साइंस कॉलेज के स्वर्णिम इतिहास तथा कर्मठ अध्यापकों को ध्यान में रखकर मैं हमेशा उन्हें महत्वपूर्ण कार्यों का दायित्व सौंपता रहा हूं।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रथम बैच 1948 के छात्र रहे सेवानिवृत्त सिविल सर्जन डॉ. एस. आर. गुप्ता तथा दूसरे बैच के छात्र रहे राज्यसभा के पूर्व सांसद श्री गोपाल व्यास को सम्मानित किया गया। इसके साथ-साथ विशिष्ट शिक्षाविद् प्रो. अवध राम चंद्राकर, प्रो. हर्षवर्धन तिवारी, डॉ. अरुण दाबके तथा प्रो. एम. एल. नायक को भी सम्मानित किया गया। पूर्व छात्रों ने अपने पुराने अनुभवों को साझा किया।

कार्यक्रम में कॉलेज के एलुमनी एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अंजय शुक्ला, जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष डॉ. विकास पाठक ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर बी. सी. चौबे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. सविता सिंह द्वारा महाविद्यालय के 75 वर्ष की गौरवमयी यात्रा को आडियो-वीडियो प्रदर्शन के माध्यम से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा कॉलेज प्रांगण के शहीद उद्यान में शहीद राजीव पांडेय तथा शहीद युगल किशोर वर्मा को पुष्पांजलि अर्पित की। इसी तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के छायाचित्र पर भी पुष्पांजलि अर्पित की गई।

हीरक जयंती कार्यक्रम के इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों के बैंड युवाज द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई। छात्रा मालविका नायर ने जगनमोहन कृष्णा के माध्यम से भरतनाट्यम की प्रस्तुतियां दी तथा प्रणवालय के रूप में छात्राओं के समूह में नृत्य विधा की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन प्रो. गिरीश कांत पांडेय ने किया।

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