“वीर बाल दिवस” सप्ताह गुरु गोबिंद सिंह के परिवार के शौर्य से कराएगा परिचित – संस्कृति मंत्री सुठाकुर

शिक्षा में भारत के गौरवशाली इतिहास के समावेश के बिना भावी पीढ़ी का निर्माण संभव नहीं – राज्य मंत्री परमार
राज्य स्तरीय "वीर बाल दिवस" सप्ताह कार्यक्रम

भोपाल
संस्कृति मंत्री सुउषा ठाकुर ने कहा है कि "वीर बाल दिवस" सप्ताह गुरु गोबिंद सिंह के परिवार के शौर्य और पराक्रम के पावन इतिहास से प्रदेश को परिचित कराएगा। मंत्री सुठाकुर मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल में गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों एवं माता गूजरी जी की शहादत को समर्पित राज्य स्तरीय "वीर बाल दिवस" सप्ताह कार्यक्रम में संबोधित कर रही थीं। आजादी के अमृत महोत्सव" में स्कूल शिक्षा विभाग, पंजाबी साहित्य अकादमी, संस्कृति परिषद् एवं मातृभाषा मंच द्वारा "वीर बाल दिवस" सप्ताह मनाया जा रहा है।

मंत्री सुठाकुर ने कहा कि संस्कृति विभाग अपने यूट्यूब चैनल पर गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों एवं माता गूजरी की पावन गाथा का प्रसारण करेगा। उन्होंने बच्चों को सच्चे राष्ट्र नायकों की पहचान कर उनके पावन जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने की सीख दी। सुठाकुर ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार से प्रेरणा लेकर उनके पद-चिन्हों पर चल कर देश भक्ति और सांस्कृतिक प्रेम के साथ साहसी होने का परिचय देना होगा।

स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में भारत के गौरवशाली इतिहास को सम्मानित करने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों एवं माता गूजरी जी की शहादत, शौर्य और पराक्रम को स्मरण करने के लिए पूरे भारत में "वीर बाल दिवस" मनाने का निर्णय लिया है। स्कूल शिक्षा और संस्कृति विभाग के सहयोग से सभी शासकीय, अशासकीय एवं अर्धशासकीय स्कूलों में 19 से 24 दिसंबर तक "वीर बाल दिवस सप्ताह" मना रहा है।

राज्य मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षा में भारत के गौरवशाली इतिहास के समावेश और प्रेरणा के बिना भावी पीढ़ी का निर्माण संभव नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है।

कार्यक्रम में गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों के पराक्रम और साहस की गाथा "सूरा सो पहिचानीऐ" का विमोचन हुआ। साहिबजादों एवं माता गूजरी की शहादत, साहस, शौर्य और पराक्रम पर केन्द्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई। प्रख्यात समाजसेवी डॉ. पी.एस. बिन्द्रा, शिक्षाविद डॉ. अमिताभ सक्सेना, निदेशक पंजाबी साहित्य अकादमी नीरू सिंह ज्ञानी सहित विभिन्न समाज के प्रतिनिधि, शिक्षक तथा विद्यार्थी उपस्थित थे।

 

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