शंकास्पद ई.वी.एम. से क्यों चिपका है आयोग, सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे जापान: रिजवी

रायपुर

मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम के पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा है कि ई.वी.एम. वोटिंग प्रणाली पूर्णत: संदेहास्पद है तथा उसमें हेराफेरी से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं पुरानी चुनाव प्रणाली में किसी प्रकार की धांधली के लिए कोई गुंजाईश नहीं हुआ करती थी। ई.वी.एम. प्रणाली को दुनिया के लगभग सभी देशों ने नकार दिया है तथा पुरानी बैलेट प्रथा की विश्वसनीयता को अपना लिया है तथा ई.वी.एम. को तिलांजलि दे दिया है। आखिरकार हमारा भारत ही इस शंकास्पद प्रणाली से क्यों चिपका हुआ है। देशवासियों में आमचर्चा है कि भारत को भी इस अविश्वसनीय कुप्रथा से अलग होकर चुनावों को विश्वसनीय बनाया जा सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ई.वी.एम. के जन्मदाता जापान देश ने भी इस प्रथा को छोड़ दिया है तथा बैलेट प्रथा को ही विश्वसनीय एवं उत्तम प्रथा माना है।

रिजवी ने कहा है कि ई.वी.एम. की सत्यता एवं विश्वसनीयता पर हमेशा चुनाव के पश्चात् आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। निर्वाचन आयोग असहाय है क्योंकि केन्द्र की भाजपा सरकार ई.वी.एम. पद्धति को बदलना नहीं चाहती है, कारण सर्वविदित है। ई.वी.एम. की विश्वसनीयता एवं निष्पक्षता का पता लगाने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जापान भेजा जाना चाहिए कि आखिर आविष्कारक देश जापान भी ई.वी.एम. को नकारते हुए वापस विश्वसनीय बैलेट प्रथा पर क्यों जापान से लौटने के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरान्त उस पर निर्वाचन आयोग को सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए। भाजपा एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को देश में अपनी लोकप्रियता को परखना ही है तो आगामी लोकसभा चुनाव बैलेट प्रथा से करवा कर देख लें। इससे दूध का दूध और पानी का पानी स्पष्ट हो जाएगा परन्तु भाजपा शंकास्पद ई.वी.एम. पद्धति को छोडना ही नहीं चाहती है।

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