नि:शुल्क पेसमेकर जांच शिविर में 118 कार्डियक पेसमेकर रोगियों के उपकरणों की नि:शुल्क जांच

बिलासपुर

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल, बिलासपुर द्वारा विगत 11 वर्षों से भी अधिक समय से साल में दो बार नि:शुल्क पेसमेकर चैकिंग कैंप का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रेलवे एवं गैर रेलवे जरूरतमंद हृदय रोगियों को नि:शुल्क पेसमेकर जांच और परामर्श सेवाएं प्रदान की जाती है। इसी कड़ी में शुक्रवार को  दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल, बिलासपुर के कार्डियोलॉजी विभाग ने अपने 22वें नि:शुल्क पेसमेकर चैकिंग का आयोजन किया है। प्रात: 9 बजे से आयोजित इस कैंप में विभिन्न प्रकार के कार्डियक पेसमेकर वाले 118 रोगियों ने अपने उपकरणों की नि:शुल्क जांच कराई।

इस कैंप में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर, डोंगरगढ़, भिलाई, रायगढ़, मुंगेली एवं अम्बिकापुर, मध्य प्रदेश के शहडोल, नैनपुर एवं भोपाल तथा महाराष्ट्र के नागपुर आदि हिस्सों के मरीजों ने भाग लिया, जिसमें रेलवे के 69 व गैर-रेलवे के 49 शामिल थे। सबसे कम उम्र की मरीज समदिल निवासी मास्टर आयुष (8 वर्ष) और सबसे बड़ी मरीज टेंगनमाडा की 99 वर्ष की महिला थी। 09 मरीजों की बैटरी खत्म होने वाली थी, जिन्हें तत्काल डिवाइस को मुफ्त में बदलने की सलाह दी गई। 15 मरीजों की धड़कन तेज थी, जिन्हें उपयुक्त दवाएं दी गईं और उसी के अनुसार डिवाइस को फिर से प्रोग्राम किया गया।

पेसमेकर जीवन रक्षक उपकरण होते हैं जिन्हें हृदय रोगियों में छाती के सामने की त्वचा के नीचे कॉलर बोन के नीचे प्रत्यारोपित किया जाता है। पेसमेकर डिवाइस को एक बार मरीज में प्रत्यारोपित करने के बाद आमतौर पर बहुत सारे मरीज इसका ध्यान नहीं रख पाते और जब खराब, विफल या इनमें बैटरी खत्म हो जाती है तभी इसका ध्यान आता है, जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से जोखिम भरा है। अत्यंत उन्नत चिकित्सा विज्ञान के युग में आज यह देखना अत्यंत दयनीय है। दिशानिदेर्शों के अनुसार औसतन हर साल एक सिंगल चैम्बर पेसमेकर का मूल्यांकन करने की आवश्यकता होती है जबकि हर छठे महीने में एक डबल चैम्बर के रूप में मूल्यांकन किया जाता है।

केंद्रीय अस्पताल, एस.ई.सी. रेलवे, बिलासपुर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सी.के.दास के निर्देशन में बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों के सभी हृदय रोगियों के लिए यह पेसमेकर जांच शिविर हर छठे महीने में मुफ्त में शुरू किया था। फरवरी 2011 से इस शिविर की शुरूआत की गई जिसका पिछला शिविर 23 मार्च 2022 को आयोजित किया गया था। यह सुविधा रेलवे के साथ-साथ गैर-रेलवे रोगियों को पूरी तरह से नि:शुल्क प्रदान की गई है। ऐसे प्रत्येक शिविर में उपकरण में विभिन्न दोषों का पता लगाकर और उन्हें उचित रूप से ठीक करके कम से कम 3 से 4 रोगियों की जान बचाई गई है। इन शिविरों में देश के अग्रणी पेसमेकर कंपनियों सेंट जूड, मेडट्रोनिक, बोस्टन साइंटिफिक और बायोट्रोनिक द्वारा अपने इंजीनियरों को उन्नत उपकरणों [प्रोग्रामर] के साथ तैनात करके मरीजों को सेवाएँ प्रदान की जाती है। यह कैंप एक छत के नीचे मानवता के लिए अत्यधिक समन्वित कुशल तकनीकी सेवा है।

इस शिविर के आयोजन में डॉ.सी.के.दास, हृदय रोग विशेषज्ञ, सेंट्रल हॉस्पिटल, डॉ.आर.एल.भांजा, डॉ.सुनाद, डॉ. मनमीत टोपनो, डॉ.अभिषेक सुख, डॉ.रंजीत थवाइत, डॉ.आशीष पुरोहित, डॉ.भविष्य राठौड़, डॉ. जगन्नाथ कुलकर्णी, डॉ. राजेश शर्मा, डॉ. मो. जीशान और ए.एन.ओ. श्रीमती सुनीता सोनवणे, मैट्रन प्रभारी श्रीमती एच.राठौड़, मैट्रन प्रभारी आईसीयू श्रीमती नामलिन सहित नर्सिंग स्टाफ मनीषा, संजुक्ता, अमिता, गायत्री, नीलिमा, उमाशंकर, भरत, बीना, प्रेमलता रीतू और विल्सन, श्री के पात्रो, श्री अरुण शर्मा, श्री घनश्याम और श्री अजीत कुमार जांघेल का विशेष योगदान था।

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