मैं पैर से लिखता हूं, क्या मुझे काॅलेज में एडमिषन मिलेगा?

प्रतिभाषाली है पारसिंग, पढ़-लिखकर बनना चाहता है शासकीय सेवक

बड़वानी

मैं दिव्यांग हूं और मेरे हाथों से मैं लिख नहीं पाता हूं। मैं पैर से लिखता हूं। क्या मुझे काॅलेज में नियमित विद्यार्थी के रूप में एडमिषन मिल सकता है? यह प्रष्न प्रतिभाषाली छात्र पारसिंग का था, जो उसने अषरफ मंसुरी, बादल गिरासे और सरपंच अम्बाराम के साथ शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के प्राचार्य डाॅ. दिनेष वर्मा के मार्गदर्षन में संचालित स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन में आकर पूछा। इसी तरह अनेक विद्यार्थी और उनके अभिभावक प्रतिदिन कॅरियर सेल में संपर्क करके परामर्ष प्राप्त कर रहे हैं। कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया और वर्षा मुजाल्दे ने बताया कि पारसिंग अत्यंत परिश्रमी और प्रतिभाषाली है तथा आगे पढ़ाई करके सरकारी सेवा में जाना चाहता है।
    कॅरियर काउंसलर डाॅ. मधुसूदन चैबे ने उन्हें मार्गदर्षन देते हुए बताया कि एडमिषन की राह में दिव्यांगता कोई बाधा नहीं है। पारसिंग काॅलेज में रेग्यूलर स्टूडेंट की तरह पढ़ाई कर सकता है। यदि वह नियमों के अंतर्गत आता है तो उसे परीक्षा में लिखने के लिए एक सहायक भी मिल सकता है, जिससे उसकी पढ़ाई और आसान हो जाएगी। यदि वह चाहेगा तो परीक्षा में वह स्वयं अपने पैर से भी उत्तर लिख सकेगा।
पारसिंग ने कॅरियर सेल के मार्गदर्षन लेने संबंधी प्रपत्र को स्वयं अपने पैर से भरा। कॅरियर सेल काॅलेज चलो अभियान के अंतर्गत प्रतिदिन विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को मार्गदर्षन दे रहा है। इस टीम में अंकित काग, सुरेष, नमन मालवीया, राहुल भंडोले, उमेष किराड़, सुनील मेहरा, कन्हैयालाल फूलमाली, स्वाति यादव आदि शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button