रामनवमी पर मालपुआ का प्रसाद ..नहीं टूटी 100 साल पुरानी परम्परा

रायपुर
शहर में जैतूसाव मठ से कई सारी पुरानी व ऐतिहासिक परम्पराएं जुड़ी हुई है उनमें से कुछ है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमीं, अन्नकूट जैसे त्यौहारों पर प्रसाद वितरण की परम्परा। वर्तमान ट्रस्टियों ने आज भी उसे सहेजकर कर रखा है और आगे बढ़ा रहे हैं। कल रामनवमी है पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ में पूजा अर्चना महोत्सव को लेकर विशेष रुप से चल रही है वहीं दूसरी ओर तीन दिन से मालपुआ बनाने का काम भी चल रहा है। जो पहले 11 किलो का बनता था आज वह 11 क्विंटल का बन रहा है मतलब अंदाजा लगा सकते हैं इस मालपुआ की खासियत क्या है?

जैतूसाव मठ के ट्रस्टी अजय तिवारी बताते हैं कि हजारों श्रद्धालुओं के लिए मालपुआ बनाने में तीन दिन से अधिक समय लगता है। कढ़ाई में मालपुआ तलने के बाद उसे गोमाता के चारे, पैरा के उपर रखकर सुखाया जाता है। इसकी शुद्धता व पवित्रता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है क्योकि प्रभु को पहले अर्पित होना है फिर श्रद्धालुओं को वितरण। मालपुआ बनाने के लिए सात क्विंटल गेहूं का आटा, पांच क्विंटल शक्कर, 25 पीपा तेल और 15 पीपा घी मंगवाया गया है। मालपुआ में मीठा के साथ तीखा स्वाद लोगों को भाता है, इसलिए सात-आठ किलो काली मिर्च और सौंफ मिलाकर मालपुआ तैयार किया जाता है। सभी सामग्री मिलाकर घोल बनाया जाता है। बड़े से तवे पर कटोरी से घोल को डालकर सेंका जाता है। सेंकने के बाद मालपुआ को पैरा (गाय का चारा) पर रखकर सुखाया जाता है। सूखने के बाद लकड़ी से जलने वाले चूल्हे पर तला जाता है। जैतूसाव मठ में 30 मार्च को ठाकुर श्रीरामचंद्र स्वामी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। दोपहर 1 बजे भोग अर्पित कर महाआरती की जाएगी। शाम 5 बजे से प्रसाद वितरण किया जाएगा।

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