एनआईटी में द्वितीय रिसर्च स्कॉलर कान्क्लेव की शुरूआत

रायपुर

  राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में मंगलवार से 13 जुलाई तक द्वितीय रिसर्च स्कॉलर कान्क्लेव का आयोजन किया गया है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन केवल संस्थान के पी.एच.डी. छात्रों के लिए किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पी.एच.डी. छात्रों को उनके शोध परिणामों को प्रस्तुत करने और उनके अनुसंधान, और विकास प्रक्रिया बताने के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करना है।

कान्क्लेव का उदघाटन  समारोह की मुख्य अतिथि प्रभारी निदेशक डॉ. ए.बी. सोनी और सम्मानीय अतिथि अकादमिक डीन, डॉ. श्रीश वर्मा द्वारा द्वीप प्रज्वलन कर किया गया। अपने भाषण में, डॉ. प्रभात दिवान ने शोध सम्मेलन की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य छात्रों के बीच विचारों के आदान-प्रदान करने और सहयोग करने का है। डॉ. ए.बी. सोनी ने शोध सम्मेलन को संस्थान का एक प्रमुख आयोजन बताया। उन्होंने शोध सम्मेलन के प्रति नई शिक्षा नीति 2020 की महत्वता पर जोर दिया, जो समग्र विकास और अन्तरविषयी शिक्षा को जोर देती है। डॉ. सोनी ने कौशल विकास की महत्वता पर जोर दिया, और छात्रों को उनके संयोजन, समस्या-समाधान और संचार कौशलों को सुधारने हेतु प्रोत्साहित किया।

अपने भाषण में, डॉ. श्रीश वर्मा ने शोध सम्मेलन के महत्व के बारे में छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने उन्हें प्रभावी प्रस्तुति, कौशलों की महत्वता और मौजूदा धारणाओं को चुनौती देने की इच्छा को बल दिया। डॉ. वर्मा ने छात्रों को अपने शोध कार्य को प्रदर्शित करने का महत्व समझने और विचार-विमर्श के वातावरण का संचालन बढ़ाने की प्रेरणा दी।

एल्सीवियर जर्नल, नई दिल्ली की दक्षिण एशिया ग्राहक सलाहकार मिस ऐश्वर्या नायल ने कार्यक्रम में एक रोचक भाषण दिया जिसमें उन्होंने विभिन्न विषयों पर चर्चा की, जिनमें शोध पत्रों और नई शिक्षा नीति 2020 के प्रभाव का वर्णन था। मिस नायल ने एल्सीवियर की डेटा विश्लेषण कंपनी में परिवर्तित होने और पत्र लेखन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अहम जानकारी प्रदान की। उन्होंने अपनी प्रस्तुतिकरण के दौरान विभिन्न शोध प्रकाशनों के आंकड़े प्रदर्शित किए जिसमें एनआईटी रायपुर द्वारा प्रदर्शित होने वाले शोध पत्रों के बारे में उन्होंने जानकारी दी।  इसके अलावा उन्होंने एक सफल शोध पत्र कैसे बनाया जा सकता है इस पर एक उत्तम प्रस्तुति दी , जिसमे उन्होंने शोध पत्रों के निर्माण के विभिन्न पहलुओं का विस्तार से वर्णन किया।

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