फीस अपीलीय प्राधिकारी का पद दो साल से खाली,धूल खा रहे 200 कॉलेजों की फीस रिव्यू के प्रपोजल

भोपाल

प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति के अपीलीय प्राधिकारी के कार्यालय में करीब 200 कॉलेजों की फीस रिव्यू करने के प्रस्ताव सहित एप्लीकेशन पड़ी धूल खा रही हैं। क्योंकि कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी की कुर्सी दो साल से सूनी पड़ी हुई है। तीन साल का कार्यकाल खत्म करने के बाद अपीलीय प्राधिकारी आलोक वर्मा गत वर्ष से अपने दायित्व छोड़े हुए हैं। तब से अब तकनीकी शिक्षा विभाग अपीलीय प्राधिकारी नियुक्त नहीं कर सका है।

दो साल में फीस कमेटी ने उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और आयुष विभाग की हजारों कॉलेजों की फीस निर्धारित कर चुका है। इसमें करीब 200 कॉलेज फीस कमेटी द्वारा निर्धारित की गई फीस से संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए उन्होंने फीस कमेटी की फीस को नजारअंदाज करते हुए अपीलीय प्राधिकारी कार्यालय में फीस को रिव्यू कराने का प्रपोजल और एप्लीकेशन भेज दी है। उनकी प्रस्ताव कार्यालय में धूल ख रहे हैं। क्योंकि उनकी सुनवाई करने वाले अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति दो साल से नहीं की गई है। इसके पहले तक अपीलीय प्राधिकारी का कार्यकाल पूर्ण होने के तत्काल बाद नए अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति कर दी जाती थी। ऐसा बताया गया है कि अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति शासन की मंजूरी से ही होती है। इसलिए तकनीकी शिक्षा विभाग ने फाइल तैयार कर शासन को भेज दी है, लेकिन दो साल में उनकी नियुक्ति नहीं हो सकी है।

हाईकोर्ट के पूर्व जज या पूर्व आईएएस को अधिकार
फीस कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी सिर्फ हाईकोर्ट के पूर्व जज या पूर्व सीनियर आईएएस आफिसर हो सकते हैं। सात मार्च को आलोक वर्मा का कार्यकाल खत्म होने के बाद एक साल का समय बीत चुका है, लेकिन विभाग एक पूर्व हाईकोर्ट और पूर्व सीनियर आईएएस का चयन नहीं कर सका है। हालांकि फीस कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी बनने के लिए काफी लोग प्रयासरत हैं। अपीलीय प्राधिकारी वर्मा का कार्यकाल खत्म होने के कारण कुछ कॉलेजों के विवाद का निराकण नहीं हो सका है। अब नवनियुक्त अपीलीय प्राधिकारी ही प्रकरणों की सुनवाई कर अंतिम निर्णय देंगे।

आयोग की सुनवाई करते हैं अपीलीय प्राधिकारी
फीस कमेटी द्वारा कॉलेज फीस का निर्धारण करते हैं। कॉलेज फीस से पसंद नहीं करते हैं, तो वे अपनी आपत्ति अपीलीय प्राधिकारी के पास दर्ज कराते हैं। इसी तरह निजी विवि विनियामक आयोग प्रदेश के सभी निजी विवि द्वारा संचालित कोर्स की फीस निर्धारित करता है। उनकी फीस में किसी विवि को आपत्ति होती है, तो वे भी फीस कमेटी के अपीलीय प्राधिकारी के पास अपनी आपत्ति दर्ज कराकर फीस निर्धारित करने प्रस्ताव और प्रपोजल दर्ज करते हैं।

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