वीरा राणा बनीं रहेंगी मुख्य सचिव मंत्रिमंडल में बढ़ सकती हैं महिलाएं!

भोपाल
 
प्रदेश में लाड़ली बहना का जादू चुनाव परिणामों में नजर आया। विधानसभा में भी महिला शक्ति सशक्तरूप में नजर आएंगी। इस बार सदन में 28 महिला विधायक पहुंचीं हैं। इधर, प्रभारी मुख्य सचिव वीरा राणा के कार्यकाल को लेकर भी कुहासा साफ होते नजर आ रहा। माना जा रहा है कि बतौर मुख्य सचिव वीरा राणा अपना कार्यकाल पूरा करेंगी।

लाड़ली बहनों के बंपर वोटों से सत्ता में आई भाजपा सरकार को मतगणना के ठीक पहले मुख्य सचिव बनाई गई वरिष्ठ महिला आईएएस वीरा राणा को मुख्य सचिव पद से तत्काल हटाना मुश्किल होगा। वीरा राणा मार्च 2024 में सेवानिवृत्त होंगी और वे अपने पूरे कार्यकाल तक मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव बनी रह सकती है। अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने है ऐसे में यदि लाड़ली बहनों की वजह से सत्ता में आई सरकार मुख्य सचिव पद से महिला अफसर को हटाती है तो उसका गलत संदेश जाएगा और इसका असर लोकसभा चुनावों में न पड़े इसलिए अब सरकार राणा को आगे भी मुख्य सचिव पद पर बनाए रख सकती है।

दो बार एक्सटेंशन के बाद तीस नवंबर को  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भरोसेमंद अफसर इकबाल सिंह बैंस मुख्य सचिव पद का कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत्त हो गए। उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद तीन दिसंबर को प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना होनी थी। इकबाल सिंह बैंस के बाद मुख्य सचिव पद के प्रमुख दावेदारों में अनुराग जैन केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ थे और मध्यप्रदेश में कार्यरत आईएएस अफसरों में सबसे वरिष्ठ आईएएस अफसर वीरा राणा को माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष और कृषि उत्पादन आयुक्त के साथ-साथ मुख्य सचिव का भी प्रभार दिया गया। जब वीरा राणा को मुख्य सचिव का प्रभार दिया गया तब यह माना जा रहा था कि जिस तरह पिछली बार उपचुनाव के नतीजों के बाद एमगोपाल रेड्डी को हटाकर उनकी जगह भाजपा सरकार ने इकबाल सिंह बैंस को मुख्य सचिव बनाया था उसी तरह इस बार भी परिणाम आने के बाद प्रभारी मुख्य सचिव के स्थान पर किसी अन्य अफसर को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी जाएगी। वीरा राणा के बाद मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव बनने के लिए मध्यप्रदेश में पदस्थ मोहम्मद सुलेमान, विनोद कुमार सहित कई अफसर कतार में है।

सदन में इस बार सात महिला विधायक ज्यादा नजर आएंगी
मध्यप्रदेश विधानसभा में इस बार महिला विधायक ज्यादा सशक्त हुई है।  पिछली बार केवल 21 महिला विधायक चुनाव जीती थी इस बार उनकी संख्या बढ़कर 28 हो गई है। भाजपा की महिला विधायकों की संख्या 11 से बढ़कर 21 हो गई है और कांग्रेस की महिला विधायकों की संख्या 9 से घटकर सात रह गई है। वहीं बसपा अपनी एक महिला विधायक की सीट भी बचाने में सफल नहीं हो पाई है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार 28 विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं ने चुनाव जीता है। इसमें 21 विधानसभा सीटों पर भाजपा और 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इन महिलाओं की जीत में लाड़ली लक्ष्मी योजना और नारी सम्मान योजना का जादू चला है।

कांग्रेस से जीतीं ये  विधायक
कांग्रेस में बीना से निर्मला  सप्रे, खरगापुर में चंदा सिंह गौर, मलहरा में साधवी रामसिया भारती, बालाघाट में अनुभा मुंजारे, भीकनगांव से झूमा सोलंकी, जोबट से सेना पटेल।

भाजपा से इन्हें मिली जीत
गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से कृष्णा गौर ने प्रदेश की महिला विधायकों में सबसे बड़ी जीत हासिल की है। उन्हें 1 लाख 6 हजार 668 मत प्राप्त हुए है। इसके अलावा सबलगढ़ से सरला रावत, चाचौड़ा से प्रियंका पेंची, छतरपुर में ललिता यादव, हटा में उमादेवी खटीक, रैगांव में प्रतिभा बागरी, सीधी में रीति पाठक, चितरंगी में राधा सिंह, जयसिंघ नगर में मनीषा सिंह, मानपुर में कुमारी मीना सिंह, मंडला मे संपतिया उइके, घोड़ाडोंगरी में गंगा सज्जन सिंह उइके,देवास गायत्री राजे पंवार, खंडवा में कंचन मुकेश तन्वे, पंधाना में छाया मोरे, नेपानगर में मंजू राजेन्द्र दादू, बुरहानपुर में अर्चना चिटनीस,पेटलावद से निर्मला भूरिया, धार से नीना विक्रम वर्मा, इंदौर चार से मालिनी गौड़, महू से उषा ठाकुर।

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