भाजपा ने विधायक देवेंद्र वर्मा का टिकट काटकर, कंचन मुकेश तनवे को दिया

खंडवा

खंडवा में बीते 18 साल से विधायक रहे देवेंद्र वर्मा का टिकट काटकर इस बार पार्टी ने एक नए चेहरे को अपना प्रत्याशी बनाया है। टिकट कटने के बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायक देवेंद्र वर्मा बुधवार को पहली बार अपने समर्थकों के साथ ही मीडिया से भी रूबरू हुए। इस दौरान वे भावुक हो चले और फफक कर समर्थकों के बीच ही रोने लगे। उन्हें इस तरह रोते देखा उनके समर्थकों ने उनके आंसू पोंछे, और उनके समर्थन में नारे भी लगाए। इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे, तो उन्होंने कहा अभी वे कार्यकर्ताओं से बातचीत कर रहे हैं।

खंडवा विधानसभा से बीते चार मर्तबा से खंडवा के विधायक रहे देवेंद्र वर्मा को इस बार भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उनके स्थान पर पार्टी ने खंडवा से ही जिला पंचायत अध्यक्ष कंचन तनवे को मैदान में उतारा है। टिकट कटने के बाद देवेंद्र वर्मा बुधवार को पहली मर्तबा कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए थे। दशहरा मिलन के नाम पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं के बीच जब वे पहुंचे तो वे भावुक हो गए। यही नही उन्हें इस अवस्था में देखकर उनके समर्थक भी उनकी आंखों से आंसू पोंछते नजर आए। इसके बाद उन्होंने मीडिया से भी चर्चा की।

कंचन तनवे को भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है, और वह इस बार भी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने की बात कर रहे हैं। हालांकि देवेंद्र वर्मा की नाराजगी का खामियाजा तो पार्टी को उठाना पड़ सकता है।  

खंडवा विधानसभा से चार बार से खंडवा के विधायक रहे देवेंद्र वर्मा को इस बार भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उनके स्थान पर पार्टी ने खंडवा से ही जिला पंचायत अध्यक्ष कंचन तनवे को मैदान में उतारा है। टिकट कटने के बाद देवेंद्र वर्मा बुधवार को पहली मर्तबा कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए थे। दशहरा मिलन के नाम पर आयोजित किये गए इस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं के बीच जब वे पहुंचे तो वे भावुक हो गए। यही नही उन्हें इस अवस्था मे देखकर उनके समर्थक भी उनकी आंखों से आंसू पोंछते नजर आए। जिसके बाद उन्होंने मीडिया से भी चर्चा की। फिलहाल देवेंद्र वर्मा ने मीडिया के सवालों पर जवाब तो दे दिए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने एक चार मर्तबा के विधायक का टिकट काटकर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि संगठन से बड़ा कोई नहीं है।

गौरतलब है कि राजनीतिक हल्कों में जो खबरें चल रही हैं, उसके मुताबिक देवेंद्र वर्मा के खिलाफ स्थानीय संगठन पूरी ताकत से खड़ा हुआ था। जिसका परिणाम यह हुआ कि उनका टिकट इस चुनाव में काट दिया गया। अब यह देखना होगा कि भारतीय जनता पार्टी के खंडवा विधानसभा के इस अभेद्य किले को यहां पार्टी बचाये रखने में कामयाब हो पाती है या उन्हें देवेंद्र वर्मा के समर्थकों का विरोध चुनाव में देखने को मिलेगा। हालांकि देखा जाए तो कंचन तनवे को भारतीय जनता पार्टी ने जब से अपना प्रत्याशी बनाया है, उसी समय से उनके समर्थन में पूरा संगठन और पदाधिकारी खड़े हुए हैं, और वह इस बार भी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने की बात कर रहे हैं। हालांकि आने वाली 17 तारीख को मतदान होना है, अब परिणाम वाले दिन ही तय होगा कि भारतीय जनता पार्टी के आला कमान के इस निर्णय से पार्टी को फायदा मिलता है या नुकसान।

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